अपने नामके आगे समाज में प्रचलित कोई भी धर्म सूचक या जाति सूचक शब्द जोड़ देने मात्र से वास्तविकता बदल नहीं जाती ,इसलिए हम सब एक हैं , हमारी जाति , हमारा धर्म एक है और हमारा साँसारिक - सामाजिक दयित्व भी एक है- इस संसार रुपी बाग़ को हरा भरा रखना इसमें सुख ,शांति और आनंद रुपी फूलों को खिलाये रखना , यह तभी संभव है जब पूरी पृथ्वी के कायस्थ एक हों , कायस्थ शब्द को उसके व्यापक अर्थों में देखना चाहिए ,संकीर्णता से दूर रह कर ही कायस्थों का कल्याण सम्भव है , मैं आह्वान करता हूँ कि दुनियाँ के सारे कायस्थो एक हो , एकजुट होकर कार्य करो ,याद रखो कि तुम पहले कायस्थ हो बाद में कुछ और तुम्हारी रगों में स्वयं परमपिता ब्रह्मा जी का लहू बह रहा है वो ही अल्लाह हैं ,जीजज़ हैं ...एको अहम् द्वितीयोनास्ति ...
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