उत्तर प्रदेश में अगर युवकों एवं युवतियों को वहीं पर सरकारी नौकरियां और रोज़गार के अच्छे अवसर मिलने लगें तो वे दिल्ली, हरियाणा , हैदराबाद, बैंगलोर, पुणे इत्यादि शहरों में अपनी नौकरी या रोज़गार के लिए जाना छोड़ सकते हैं। कोई भी व्यक्ति यह नही चाहता कि अपने घर परिवार का सुख छोड़ कर सिर्फ रोज़गार के लिए दूसरे ऐसे शहरों में जा कर जीवन यापन करे जो उसे अपने घर परिवार से दूर कर दे और जहाँ पर उसका कोई परिचित न हो और न ही रहने खाने की घर जैसी सुविधा हो , लेकिन सिर्फ रोज़ी रोटी के लिए और अपनी योग्यता अनुसार धन, पद प्रतिष्ठा प्राप्त करने हेतु वे सब कुछ त्याग कर परदेश चले जाते हैं।
वे काम करना चाहते हैं अपनी मेहनत लगन व परिश्रम के बल पर छोटे से छोटे संस्थानों को भी बड़ा बनाने तथा ऊचां उठाने में उनकी अहम भूमिका रहती है, उन्हें धन और प्रतिष्ठा तो बहुत मिल जाता है लेकिन अपने घर परिवार, बचपन के संगी साथी और अपने प्रदेश की बोली और सभ्यता से दूर रहने की पीड़ा उन्हें हमेशा बनी रहती है। उन जगहों के लोग भी बाहर से आये हुए इन लोगों से अपरिचितों जैसा व्यवहार करते हैं, उन्हें अपनाने में परहेज़ करते हैं और उन लोगो पर अपना वर्चस्व जमाने की कोशिश करते हैं, फिर भी बाहर से विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, मणिपुर, असम आदि राज्यों से आये हुए ये लोग चुपचाप अपनी नौकरी की खातिर सब कुछ सहन करते रहते हैं क्योंकि उन्हें मालूम है कि उनको जो आर्थिक लाभ मिल रहा है वो अपने प्रदेश में आज भी उपलब्ध नही है।
इसलिये सभी राज्य सरकारों विशेषकर उत्तर प्रदेश सरकार को अपनी इन प्रातिभाओं के विषय मे चिंता के स्तर से भी ऊपर उठकर सोचने की आवश्यकता है। जो प्रतिभायें दूसरे राज्यों में जा कर वहां के संस्थानों को अपनी योग्यता से लाभान्वित करा सकते हैं वो अपने प्रदेश को भी वैसे ही आर्थिक रूप से सुदृढ़ बना सकते है बशर्ते उन्हें पलायन करने से रोकने के लिए प्रदेश में उनकी योग्यता अनुसार अधिक से अधिक वेतन और सुविधाएं राज्य सरकार द्वारा दी जाएं। उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों से आये हुए लोग दिल्ली, गुरुग्राम जैसे शहरों में 12 से 14 घंटे रोज़ अपने संस्थानों के लिए खुशी खुशी कार्य करते है और अपनी मेहनत और योग्यता के बल पर संस्थान को ऊंचा उठाने तथा आगे बढ़ाने का कार्य करते हैं और बदले में संस्थान के द्वारा अच्छा वेतन और अन्य सुविधाएं प्राप्त करते हैं। जब ये लोग अपने घर परिवार , इष्ट मित्रों रिश्तेदारों आदि से इतनी दूर रहकर 12 से 14 घंटे मेहनत से काम करते है तो राज्य सरकार द्वारा ये सभी सुविधाये दिए जाने की गारंटी प्रदान करने पर इतनी ही मेहनत करके सरकारी संस्थानों को भी लाभान्वित करा सकते हैं और प्रदेश को आर्थिक रूप से मजबूती दिला सकते है।
ठीक यही बात हमारे देश से गये उन लोगो पर भी लागू होती हैं जो अपनी योग्यता अनुसार धनोपार्जन करने के लिए विदेशों में जाते है और वहां जा कर काम करते हैं। एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में जो भी लोग सरकार में उच्च पदों पर आसीन हैं वो सभी या तो भारतीय हैं, भारतीय न होने की दशा में उनकी शिक्षा भारत मे ही हुई हैं, यही इस बात का प्रमाण है कि भारत की शिक्षा और योग्यता पर अमेरिका जैसे सुखी सम्पन्न देश को भी कितना भरोसा हैं।
क्या हम अपने देश और प्रदेश की सरकारों से ये आशा कर सकते है कि वे शीघ्र से शीघ्र ऐसे उपाय करें कि बाहर जाने वाली प्रतिभाएं अपने ही देश और प्रदेश के उत्थान में सहयोगी बन सके।
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