राजस्थान में गहलोत सरकार पर खतरा मंडरा रहा है। राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट कि गहलोत सरकार से तनातनी की खबरें रातभर चली। इसी बीच यह भी अटकलें लगाई जाने लगी कि सचिन पायलट कभी भी कांग्रेस का 'हाथ' छोड़ कर भाजपा का 'कमल' पकड़ सकते है। सूत्रों के मुताबिक राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की मौजूदगी में अपने सहयोगी विधायकों के साथ कांग्रेस का दामन छोड़ कर भाजपा जॉइन कर सकते है। वहीं पायलट खेमे के सूत्र उनके भाजपा में शामिल होने की बात से इनकार करते नज़र आये। ऐसे में सियासी सस्पेंस बना हुआ है और सभी इंतेज़ार में है कि सचिन पायलट का अगला कदम क्या होगा?
इस सियासी गर्मी के पीछे कारण यह है की रविवार 12 जुलाई को सचिन पायलट ने हाल ही में भाजपा में शामिल हुए वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात की और इस मुलाकात में दोनों के बीच तकरीबन 40 मिनट तक आपस में बात चीत हुई। दोनों नेताओं के बीच बात चीत दिल्ली में हुई। उसके बाद से ही मीडिया में यह खबर तेजी से चली कि सचिन पायलट भी ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल हो सकते है। यहां तक कि मीडिया रिपोर्ट्स में यह तक दावा किया गया कि सचिन पायलट को भाजपा में शामिल किये जाने की तैयारी भी पूरी कर ली गयी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के दावे के अनुसार सचिन पायलट सिंधिया के साथ भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेता से भी मिले और इन तीनो नेताओं के बीच कई बातों पर चर्चा भी की गयी। इस मुलाकात के बाद माना जा रहा है कि भाजपा ने सचिन पायलट के लिए अपने दरवाज़े खोल दिए है, अब सचिन पायलट कि तरफ से उनके फैसले का इंतेज़ार हो रहा है।
बताया जा रहा है की सचिन अगर भाजपा में शामिल होते है तो उनके साथ में आने वाले विधायकों पर भी नज़र होगी क्यों कि पायलट के साथ अगर उनके 30 विधायक भी भाजपा में शामिल होते है जैसा कि पायलट कि तरफ से दावा किया गया है, तो सचिन पायलट कि भाजपा में धमाकेदार एंट्री होगी। ऐसा इसलिए क्यूंकि इतनी बड़ी संख्या में विधायकों का सरकार से साथ छोड़ना सरकार कि माइनॉरिटी को बढ़ा देगा और अगर पायलट के साथ आने वाले विधयकों की संख्या कम होती है तो भाजपा दूसरे विकल्पों पर विचार कर सकती है।
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