आज विश्व फिजियोथेरेपी दिवस के उपलक्ष्य में डॉक्टर उदय यादव प्रेसिडेंट , इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजियोथैरेपिस्ट हरियाणा ने बताया आज फिजियोथैरेपी सिर्फ दर्द के निवारण ,लकवा ,पोस्टसर्जरी, बैलेंस प्रॉब्लम, चक्कर आना, सर्वाइकल ,कमर दर्द, घुटनों का दर्द नसों के जकड़न तक सीमित नहीं रहा है। आज के समय में फिजियोथैरेपी हरेक रोगी के लिए जरूरी है।
पिछले कुछ माह से पूरा विश्व कोविड-19 नाम की वैश्विक महामारी से जूझ रहा है। यह बीमारी एक वायरस के संपर्क में आने से होती है तथा बड़ी आसानी से एक मरीज से दूसरे मरीज को फैल सकती है। डॉ यादव ने बताया इस बीमारी के लक्षण तेज बुखार, सुखी खासी, बदन दर्द, सांस लेने में तकलीफ , तथा गले में दर्द होता है। यह बीमारी वृद्ध लोगों ,ह्रदय रोगी ,दिल के मरीज तथा मधुमेह व पहले से बीमार ,व कमजोर लोगों में और भी ज्यादा खतरनाक हो जाती है।
इस बीमारी से बचने के लिए तथा कोरोनावायरस के बाद इसकी रिकवरी के लिए फिजियो थेरेपी सबसे कारगर चिकित्सा पद्धति है। एक्सरसाइज करके शरीर मे कोरोनावायरस से लड़ने की क्षमता बढ़ाई जा सकती है तथा फेफड़ों की वर्जिश करके फेफड़ों को मजबूत किया जा सकता है ताकि वह आसानी से कोरोनावायरस को मात दे सके।
यदि कोई मरीज कोरोना पॉजिटिव हो जाता है तो उसकी रिकवरी के लिए आईसीयू से ही फिजियोथैरेपिस्ट की एक्सरसाइज का काम महत्वपूर्ण योगदान होता है। डॉ उदय ने कहा आईसीयू में मरीज जब वेंटिलेटर पर होता है तो उसके फेफड़े कमजोर हो जाते हैं तथा फेफड़ों में बलगम भर जाता है जिसको निकालने के लिए फिजियोथैरेपी अलग-अलग टेक्निक का इस्तेमाल करते हैं जिसमें कपिंग हाफग तथा पोजिशनिंग का इस्तेमाल करके बलगम को लूज करके बाहर निकाला जाता है ताकि फेफड़े अपना काम आराम से कर सके ऑक्सीजन लेने में कोई तकलीफ ना हो हवा आराम से फेफड़ों तक पहुंच सके।
मरीज जब हॉस्पिटल से डिस्चार्ज हो जाता है तब भी उनके फेफड़े कमजोर रहते हैं उस समय भी फिजियोथैरेपिस्ट उनके फेफड़ों को मजबूत करने के लिए तरह-तरह की कसरत करवाते हैं ताकि वह आराम से काम कर सकें।
कोरोना के ठीक होने के बाद भी मरीजों के शरीर में दर्द रहता है मांसपेशियों में जकड़न रहती है उस समय फिजियोथैरेपिस्ट आधुनिक मशीनों के द्वारा उनके दर्द को ठीक करते हैं तथा उनकी मांसपेशियों को लचीला बनाते हैं।
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