लखनऊ: 27 मई, राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन ने केंद्र सरकार से किसानों के नाम पर जारी कथित आंदोलन को बल पूर्वक खत्म करवाने की मांग की। किसान आंदोलन के नाम पर राजधानी दिल्ली के बॉर्डर पर कब्ज़ा कर बैठे अराजक तत्वों को पुलिस द्वारा कार्यवाही कर वहां से खदेड़ दिया जाये, इसके साथ ही इनके नेत्तृत्व कर्ताओ पर मुक़दमा दर्ज कर जेल भेजा जाये।
राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन का साफ कहना है कि किसानो के नाम पर चल रहा यह कथित आंदोलन सिवाय घटिया राजनीती और अराजकता के अलावा कुछ और नहीं है। अन्नदाता किसान के नाम पर स्वार्थी नेता, बिचौलिये और दोयम दर्जे के लोग जो सिर्फ किसान का नाम लेकर अपना पेट भरते आये है सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी किसान हितैषी नीतियों को रोकने के लिए गैंग बना कर अराजकता फैला रहे है।
राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन के अध्यक्ष रामनिवास यादव ने कहा कि केंद्र में मोदी सरकार पिछले 7 वर्षो से किसानों के हित में कई फ़ैसले लिए, जिससे इन कथित किसान नेताओं एवं देश विरोधी गैंगों को अच्छा नही लगा। इससे पहले की सरकारो से किसान नेता होने का दम भरने वाले टिकैत बंधु सहित अन्य ने अब तक किसानो का क्या भला करवाया यह बताये। किसान का नाम जपना और काम बिचौलियो को मलाई खिलाने का काम करना इन घटिया नेताओ का यही काम रहा है।
रामनिवास यादव ने प्रश्न किया कि इन कथित किसान नेताओ के बाल सफ़ेद हो गये है। किसानो की राजनीति करके अपनी तिजोरी भरी, ये अराजक किसान नेता अपना एक काम तो बताये जो इन्होंने किसान के हित में किये हों? बस प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता से लगभग मृत हो चुकी विपक्षी नेताओ के धन, बल और बिचौलियो के राशन पर फ़र्ज़ी किसान आंदोलन हौवा खड़ा किया जा रहा है। जहा आरजकता हिंसा राष्ट्रध्वज का अपमान बलात्कार जैसे काम किये जा रहे है। वो भला लोकतांत्रिक अंदोलन कैसे हो सकता है। हम फिर दोहराते है, ये अराजक तत्वों का गैंग है और इसे मात्र पुलिस कार्यवाही से ही ठीक किया जा सकता है।
राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन केंद्र सरकार के संयम की सराहना करती है। परन्तु अब और संयम नहीं दिखाना चाहिए। भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत के उस बयाान की जिसमें टिकैत ने कहा की केंद्र सरकार आंदोलन को खत्म कराना नहीं चाहती साथ ही तीनो कृषि कानून वापस नहीं लिए गए तो उत्तर प्रदेश के 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का विरोध किया जायेगा इस पर राष्ट्रीय अन्नदाता यूनियन के अध्यक्ष रामनिवास यादव ने कहा कि नरेश टिकैत के इस बयान को बचकाना पन ही कहा जा सकता है। केंद्र सरकार ने 11 बार वार्ता की पहल की जैसे ही बातचीत किसी नतीजे की तरफ बढ़ती टिकैत बंधू कोई न कोई रोड़ा लगा कर अपनी राजनीतिक फ़ायदे के लिये माहौल ख़राब करते रहे।
जिन अन्य किसान संगठनों की मानसिकता साफ़ थी उन्हें धीरे धीरे आंदोलन के नेतृत्व् से अलग कर राकेश टिकैत ने कब्ज़ा कर लिया रामनिवास ने कहा कि हद तो तब हो गयी जब हरियाणा में किसानो के नाम पर जो आराजकता फैलाई जा रही उसमे भी राजनैतिक निहितार्थ है वहाँ पर ओम् प्रकाश चौटाला की पार्टी इनेलो और कोंग्रस से जुड़े लोग टिकैती किसान आंदोलन को चला रहे है जिससे घबराकर दुष्यंत चौटाला दबाव में आकर खट्टर सरकार से समर्थन वापस ले लें, जिससे वहाँ की सरकार गिर जाये फिर इनकी एवं विपक्षी दलों की राजनीतिक दुकान चल जाय। टिकैत बंधू अपना हित तलाश रहे है।
रामनिवास यादव ने कहा कि नरेश टिकैत जिन चीनी मिलो का 23 हजार करोड़ का बकाया बता रहे है वो पिछली सपा - बसपा सरकारों की देन है लेकिन इन सरकारों के समय टिकैत बंधु आँखों पर पट्टी बांध कर दुबक गए थे तब काला दिवस नहीं मना रहे थे जब पश्चिम बंगाल में किसानों को न सम्मान निधि मिल रही थी।
रामनिवास यादव ने कहा कि टिकेत बंधु अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए भाकियू हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी को इस कथित किसान आंदोलन से बगल करना चाहते हैं जिसका कारण गुरनाम सिंह चढूनी को पता चल गया है कि टिकैत बंधू अपने निजी एजेंडे पर काम कर रहे है। रामनिवास ने कहा की स्वयं चढूनी ने स्वीकार किया कि गाजीपुर बॉर्डर पर 500 लोग ही बैठे है तो आप अंदाजा लगा लीजिये की उनके पास कितना जनाधार है इसलिए सरकार तत्काल इनको गिरफ़्तार कर धरना स्थल से बाक़ी बिचौलियों को हटाये।
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