पिंजरे में कैद पक्षी भी आजादी के लिए दुआ मांगते हैं..



कृष्णा पंडित की कलम से

आजादी यह शब्द नहीं जीवन का सार है जीने की वजह और जमीन से आसमान की दूरी तय करने का पैमाना।

भरसक कोई कैद कर ले किसी पंछी या जीवित व्यक्ति के शरीर को लेकिन आजादी उसकी अंतिम इच्छा ही होती है ! 

शूरवीर की गाथा और पुलकित कलियों की अभिलाषा है
खुली हवा में जीवन हो तभी जीवन की परिभाषा है..

जंजीरों में जकड़ा शेर भी अपनी ताकत और जंजीर तोड़ने के लिए पूरी कवायद लगा देता है लेकिन जब उसको आजादी नहीं मिलती तो वह घुट घुट कर उसी को आशियाना समझ जीवन जीने लगता है...

आज आपको बताते हैं

जिस देश ने लंबे समय तक किसी की गुलामी सही हो, उसके लिए आजादी का क्या मतलब होगा..

आजाद भारत के लिए 15 अगस्त सिर्फ एक तारीख ही नहीं, बल्कि उस आजादी के जश्न का दिन है, जिसके लिए कितने ही वीर जवानों ने वीरगति पाई और कितने महानायकों ने जेलों में जीवन मिटा दिया..

15 अगस्त 2021 को भारत अपनी आजादी का 75वां पर्व मनाएगा। देश की इस आजादी के लिए कई महान देशभक्तों ने अपने प्राणो की आहुति दी है। 75 साल पहले भारत के 32 करोड़ लोगो ने आजादी का सूरज देखा था। हालांकि, इस दिन भारत का दो भागो में विभाजन हुआ था, जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान अस्तित्व में आया। वर्षों की गुलामी सहने और लाखों देशवासियों का जीवन खोने के बाद हमने यह बहुमूल्य आजादी पाई है।

भारत का स्‍वतंत्रता दिवस जिसे हर वर्ष 15 अगस्‍त को देश भर में हर्ष-उल्‍लास के साथ मनाया जाता है। यह सिर्फ एक त्यौहार ही नहीं, बल्कि हर भारतवासी के लिए एक नई शुरुआत की तरह है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि इसी दिन 1947 को ब्रिटिश उपनिवेशवाद के चंगुल से छूट कर एक नए युग की शुरुआत हुई थी। वह 15 अगस्‍त 1947 का भाग्‍यशाली दिन था, जब भारत को ब्रिटिश उपनिवेशवाद से स्‍वतंत्र घोषित किया गया और नियंत्रण की बागडोर देश के नेताओं को सौंप दी गई।

उस समय मिली आजादी से पूरे देश में ख़ुशी की लहर दौड़ गई थी। उस समय आजादी हर व्यक्ति का पहला सपना था। आज भी स्‍वतंत्रता दिवस पूरी निष्ठा, गहरे समर्पण और अपार देश भक्ति के साथ पूरे देश में मनाया जाता है। इस दिन प्रधानमंत्री दिल्‍ली में लाल किले पर तिरंगा झंडा फहराते हैं और इसके बाद राष्‍ट्र गान गाया जाता है। स्‍कूलों और कॉलेजों में आजादी का दिन सांस्‍कृतिक गतिविधियों, कवायद और ध्‍वज आरोहण के साथ मनाया जाता है !
 
भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने 15 अगस्त के दिन को ही आजादी का दिन इसीलिए मुकर्रर किया था, क्योंकि दो वर्ष पहले 15 अगस्त के दिन ही मित्र देशों की सेना के सामने जापान ने समर्पण किया था। भारत में ब्रिटिश शासन का अंतिम वायसराय होने की वजह से लॉर्ड माउंटबेटन को भारत और पाकिस्तान, दोनों देशों में स्वतंत्रता दिवस से जुड़े आयोजनों में शामिल होना था। किसी भी प्रकार की असुविधा से बचने के लिए माउंटबेटन ने 14 अगस्त के दिन को पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस घोषित कर दिया था और 15 अगस्त को भारत का स्वतंत्रता दिवस घोषित किया।

अमेरिका को करीब 229 साल पहले स्वतंत्रता मिल गई थी, लेकिन भारत को स्वतंत्रता मिले मात्र 75 वर्ष ही हुए हैं।
 
भिकाजी रुस्तम कामा पहली ऐसी शख्स थीं, जिन्होंने 22 अगस्त, 1907 को जर्मनी में तिरंगा फहराया था। लेकिन इस तिरंगे में और भारत के राष्ट्रीय ध्वज में थोड़ा अंतर था। भिकाजी कामा के झंडे में सबसे ऊपर हरा रंग, बीच में सुनहरा केसरी और सबसे नीचे लाल रंग था। इस झंडे पर ‘वंदे मातरम’ लिखा था।

गांधीजी ने आजादी का दिन अनशन करके मनाया था। गांधीजी आजादी के दिन दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर कलकत्ता (अब कोलकाता) में थे। कलकत्ता में हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच शांति और सौहार्द कायम करने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया था। पत्र पढने के बाद महात्मा गांधी ने कहा,

 "जब कलकत्ता में हिन्दू और मुस्लिम एक-दूसरे की हत्याएं कर रहे हैं, तब मैं दिल्ली में जश्न मनाने कैसे जा सकता हूं। मैं यहां शांति स्थापित करने के लिए अपनी जान भी दे सकता हूं।"

देश में गणतंत्र स्थिर रहे, इसलिए उज्जैन के ज्योतिष सूर्यनारायण व्यास ने पंचांग देखकर आजादी का मुहूर्त निकाला था। डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के आग्रह पर उन्होंने बताया कि अगर आजादी 15 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि 12 बजे ली गई, तो हमारा गणतंत्र अमर रहेगा। इतना ही नहीं, पंडित व्यास के कहने पर आजादी के बाद देर रात संसद को धोया भी गया था। क्योंकि ब्रिटिश शासकों के बाद अब यहां भारतीय बैठने वाले थे। धोने के बाद उनके बताए मुहूर्त पर गोस्वामी गिरधारीलाल ने संसद की शुद्धि करवाई थी।

1947 के भारत विभाजन के दौरान ही ब्रिटिश भारत में से सीलोन (अब श्रीलंका) और बर्मा (अब म्यांमार) को भी अलग किया गया, लेकिन इसे भारत के विभाजन में नहीं शामिल किया जाता है, जबकि अखंड भारत में ये सभी शामिल थे।

भारत का विभाजन माउंटबेटन योजना ('3 जून प्लान') के आधार पर तैयार भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के आधार पर किया गया। इस अधिनियम में कहा गया कि 15 अगस्त 1947 को भारत एवं पाकिस्तान नामक दो अधिराज्य बना दिए जाएंगे और उनको ब्रिटानिया सरकार सत्ता सौंप देगी!!

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