केले की फसल के लहलहाते हुए खेत उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के किसानों की सूझबूझ की कहानी को बयां करते नजर आते हैं। जी हां, यहां खेती में सूझबूझ और तकनीकी का इस्तेमाल किसानों की किस्मत गढ़ रहा है और उनके लिए कमाई का बेहतर जरिया भी साबित हो रहा है।
सरकार द्वारा मिल रहा प्रोत्साहन
हरदोई में इसकी एक मिसाल भी देखने को मिली है। हरदोई के किसान अनुज सिंह का कहना है कि उनके द्वारा केले की फसल चार से पांच एकड़ भूमि पर की जा रही है। यह फसल करीब 14 महीने में तैयार हो जाती है। अनुज यह भी बताते हैं कि फसल लगाने से लेकर फसल में खाद, बीज इत्यादी डालने के लिए जरूरी सामग्री भी राज्य सरकार के सभी किसानों को सरकार द्वारा प्रोत्साहन के रूप में उपलब्ध कराई जा रही है।
नए कृषि कानून का भी मिला खूब फायदा
केवल इतना ही नहीं अनुज आगे जोड़ते हुए बताते हैं कि नए कृषि कानून बनने से व्यापारी अब उनके खेत पर आकर उनकी फसल खरीद रहे हैं। इससे उन्हें अच्छा लाभ प्राप्त हो रहा है। उससे उनकी आय भी पहले से दोगुनी हो गई है। इससे अन्य किसानों को भी फायदा मिल रहा है ताकि अन्य किसान भी इसमें आगे बढ़ें और उनसे उचित लाभ कमाएं।
पीएम मोदी की प्रेरणा से किसानों ने बदली इलाके की तस्वीर
बताना चाहेंगे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से इन किसानों ने तस्वीर बदल दी है। सरकारी योजनाओं की मदद से अब ये किसान खेती में तकनीकी का बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं और इसी के बलबूते ये अपने क्षेत्र में एक मिसाल बनकर उभरे हैं। जहां एक तरफ केले के खेती से खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ रही है, वहीं किसान सरकार द्वारा दी जा रही प्रोत्साहन राशि का भी लाभ उठा रहे हैं।
दो-तीन साल पहले आलम था कुछ और, आज 4 से 5 लाख प्रति हेक्टेयर किसानों को फायदा
हरदोई की मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) आकांक्षा राणा बताती हैं कि दो तीन साल पहले तक तो कोई भी केले की खेती नहीं कर रहा था। इस साल लगभग 80 से 90 किसान केले की खेती कर रहे हैं। इसमें सरकार द्वारा पहले वर्ष में 30 हजार प्रति-हेक्टेयर अनुदान दिया जाता है और दूसरे साल 40 हजार प्रति हेक्टेयर दान दिया जाता है। केले की खेती से लागत निकालने के बाद लगभग 4 से 5 लाख प्रति हेक्टेयर किसानों को फायदा होता है। साथ ही साथ क्रॉप डायवर्सिफिकेशन करने से जो खेत की मिट्टी की उर्वरता भी बरकरार रहती है। केले की खेती में सबसे खास फायदा यह होता है कि यह फसल दो साल की होती है। दूसरे साल में इसमें फल निकलता है। ऐसे में इसमें इंटरक्रॉपिंग का समय भी मिलता है, यानि केले की फसल के साथ-साथ आलू व मटर की फसल की पैदावार भी की जा सकती है। केले का फल अपने आप में बेहद सस्ता और न्यूट्रिशियस होता है, जो हमारे लिए इम्यूनिटी बूस्टर का भी काम करता है।
केले की खेती बनी फायदे का सौदा
वहीं किसानों का कहना है कि सरकारी योजनाओं की मदद से केले की खेती उनके लिए फायदे का सौदा साबित हुई है और प्रति एकड़ 2 लाख रुपए तक लाभ कमा रहे हैं। किसान विजय पाल सिंह इस संबंध में बताते हैं कि व्यापारी लोग अब उनके फार्म पर आकर यहीं से माल लेकर जाने लगे हैं। इससे हमें मंडियों के चक्कर लगाने से छुटकारा मिला है। इसके साथ-साथ हमारी आय भी दोगुनी हो गई है। इसके लिए हम मोदी सरकार का धन्यवाद करते हैं।
Source: PBNS
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