रिपोर्ट: उमेश तिवारी
भदोही। कोरोना संक्रमण काल में आक्सीजन घोटाले को लेकर सुर्खियों में रहने वाला सीएमओ कार्यालय एक बार फिर चर्चा में है। ताजा मामला सीएमओ दफ्तर की सुरक्षा में सेंध से जुड़ा है। कार्यालय में अस्पताल पंजीयन पटल से तीन फाइलों के गायब होने का मामला प्रकाश में आया है। इससे कर्मचारियों में खलबली मच गई है। दफ्तर में प्राइवेट कर्मी की आवाजाही भी सवालों में है। स्वास्थ्य विभाग और विवादों का नाता पुराना है। यहां शासनादेश को ताक पर रखकर दशकों से जनपद में जमें तैनात बाबुओं के चक्कर में विभाग की अक्सर छीछालेदर होती रही है। कोरोना संक्रमण काल में आक्सीजन सिलिंडर खरीद का मामला हो या झोलाछाप अस्पताल संचालन डेंगू मलेरिया और कोरोना जांच के उपकरण की खरीद से लेकर अन्य मामले भी सवालों में घिरते रहे हैं। पांच माह पूर्व सिलिंडर खरीद का मामला तूल पकड़ा तो शासन के निर्देश पर दशकों से कुंडली मारकर जनपद में जमें एक लिपिक को निलंबित कर सीडीओ कार्यालय से अटैच कर दिया गया, लेकिन उनका मोह दफ्तर से नहीं खत्म हुआ पटल न मिलने के बाद भी तालमेल बनाकर वह अब भी विभागीय कामकाज को संभाले हुए हैं। पटलों की अदलाबदली में पंजीयन के लिए आई तीन फाइलें गायब हो गई हैं। विभागीय सूत्रों की माने तो अस्पताल पंजीयन पटल को देखने वाले लिपिक महोदय एक प्राइवेट कर्मचारी को लेकर आते हैं। उच्चाधिकारी जानते हुए भी अनजान बने हुए हैं। ऐसे में महत्वपूर्ण फाइलों की सुरक्षा को लेकर तमाम सवाल उठना लाजिमी है।इस मामलें में सीएमओ सन्तोष कुमार चक से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि अस्पताल पंजीयन के किसी भी फाइल के गायब होने की जानकारी नही हैं,मामलें की जाँच कराकर दोषियों पर कार्यवाही की जायेगी।
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