रिपोर्ट: प्रतीक जैसवाल
VaranA$! : भारत में अनादि काल से ही गंगा जीवनदायिनी और मोक्षदायिनी रही है। भारतीय संस्कृति, सभ्यता और अस्मिता का प्रतीक गंगा की अविरल और निर्मल सतत् धारा के बिना भारतीय संस्कृति की कल्पना नहीं की जा सकती। लिहाजा गंगा के साथ संस्कृति और संस्कारों का संरक्षण जरूरी है।
सिंधिया घाट से शीतला घाट तक नाव से जागरूक करते हुए गंगा सेवक नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा कि सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण गंगा की उपासना मां और देवी के रूप में की जाती है। गंगा तट पर ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण तथा प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर कई पर्यटन स्थल हैं, जो राष्ट्रीय आय का महत्वपूर्ण स्रोत हैं। सभ्यता और संस्कृति की पोषक गंगा की रक्षा का सबसे सशक्त जरिया जनजागरण है। हम स्वयं जागरूक हो और गंगा किनारे की स्वच्छता हेतु सभी को जागृत करें ।।
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