इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक सुसाइड के मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि कोई भी भारतीय महिला किसी और के साथ अपने पति को शेयर नहीं कर सकती है. हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत की महिलाएं अपने पति के प्रति पजेसिव होती हैं और वो अपने पति को किसी के साथ शेयर नहीं कर सकती हैं.इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपी को आरोपमुक्त करने की अपील को खारिज कर दिया. जस्टिस राहुल चतुर्वेदी ने वाराणसी निवासी द्वारा एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली अपील को खारिज करते हुए ये टिप्पणी की,
दरअसल वाराणसी के मडुआडीह थाने में एक महिला की खुदकुशी का केस दर्ज था. इस मामले में उसके पति सुशील कुमार पर खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप लगा था. पति ने इस आरोप को खारिज करने के लिए अदालत में याचिका दाखिल की थी. लेकिन मामले की सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुशील कुमार समेत 6 अन्य की याचिका को खारिज कर दिया.
कोर्ट का कहना था कि कोई भी भारतीय महिला अपने पति को किसी भी कीमत पर साझा नहीं कर सकती है. वे सचमुच अपने पति के बारे में अधिकार रखती हैं. किसी भी विवाहित महिला के लिए यह सबसे बड़ा झटका होगा कि उसके पति को कोई अन्य महिला शेयर कर रही है या वह किसी दूसरी महिला से शादी करने जा रहा है. ऐसी अजीब स्थिति में, उनसे किसी भी तरह की समझदारी की उम्मीद करना असंभव होगा.
वाराणसी निवासी सुशील पर पत्नी को खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप-
वाराणसी निवासी सुशील कुमार जो अपनी "दूसरी पत्नी" द्वारा कथित आत्महत्या की जांच का सामना कर रहे हैं. 22 सितंबर 2018 को वहां एक पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किया गया था. आरोपी सुशील कुमार ने कथित तौर पर अपनी पहली पत्नी को तलाक दिए बिना शादी की थी. पीड़िता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसका पति पहले से ही शादीशुदा था और दो बच्चों का पिता था. बावजूद इसके उसने बिना बताए गुपचुप तरीके से तीसरी शादी कर ली. इसके साथ ही महिला ने पति और ससुराल वालों के खिलाफ मानसिक प्रताड़ना का भी आरोप लगाया था. पति और ससुराल वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के बाद महिला ने खुदकुशी कर ली थी जिसके बाद पुलिस ने जांच शुरू कर पति और सुसुरालवालों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।
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