ज्ञानवापी परिसर मामला- वादी पक्ष ने की तहखाना का ताला तोड़कर सर्वे कराने की मांग



वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर में श्रृंगार गौरी के साथ विग्रहों के सर्वे और वीडियोग्राफी मामले में सोमवार को न्यायालय में सुनवाई के दौरान वादी पक्ष अधिवक्ता आयुक्त के पक्ष में अड़ा रहा और न्यायालय में वादिनी गण ने ज्ञानवापी मस्जिद समेत पूरे बैरिकेडिंग, तहखाना का ताला तोड़कर वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराने की मांग की। न्यायालय में अधिवक्ता आयुक्त ने भी मौखिक बयान दर्ज कराया और दो दिन में हुई कमीशन की कार्रवाई की विस्तृत जानकारी दी। उधर, वादी पक्ष की आपत्ति पर आपत्ति दाखिल करने के लिए अन्जुमन इंतजामिया मसाजिद के अधिवक्ताओं ने न्यायालय से समय मांगा। अदालत ने इस मामले में 10 मई मंगलवार को सुनवाई की तारीख नियत कर दी है।

सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी समेत अन्य देव विग्रहों के सर्वे व वीडियोग्राफी के लिए नियुक्त अधिवक्ता आयुक्त को हटाने संबंधी आवेदन पर सोमवार को भारी गहमागहमी के बीच सुनवाई के बाद भी आदेश नही हो सका। अदालत ने अन्जुमन इंतजामिया मसाजिद की तरफ से कमिश्नर के हटाने के आवेदन पर सोमवार को वादी पक्ष और सर्वे कमिश्नर से आपत्ति मांगी थी। सर्वे कमिश्नर अजय कुमार मिश्र ने कोर्ट में हाजिर होकर मौखिक जबाब दिया और छह व सात मई को कमीशन की कार्रवाई सहित अड़चनों की पूरी जानकारी दी। दूसरी तरफ, वादी पक्ष की तरफ से लिखित आपत्ति अधिवक्ताओं सुधीर त्रिपाठी, सुभाष नंदन चतुर्वेदी, शिवम गौंड, अनुपम द्विवेदी आदि ने दाखिल की।

अदालत में इस आपत्ति पर प्रति आपत्ति दाखिल करने के लिए अन्जुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ताओं अभय नाथ यादव, तौफीक खान, एखलाक अहमद, मुमताज अहमद, रईस खान ने समय मांगा। जिस पर अदालत ने 10 मई मंगलवार को सुनवाई की तारीख नियत कर दी। वादी पक्ष ने आपत्ति में कहा कि सर्वे कमिश्नर पर लगे आरोप झूठे व निराधार है। कमीशन बाधित करने के आशय से आपत्ति दी गई है और अधिवक्ता आयुक्त को बैरीकेटिंग से अंदर नही जाने दिया गया। जिससे कमीशन की कार्यवाही बाधित रही।

आपत्ति में कहा गया कि ऐसा कोई तथ्य कमिश्नर के खिलाफ नहीं उठाया गया है, ऐसे में अन्जुमन इंतजामिया का आवेदन खारिज होने योग्य है। अन्जुमन के आवेदन पर यूपी सरकार, डीएम और पुलिस आयुक्त की तरफ से डीजीसी सिविल महेंद्र प्रसाद पाण्डेय पहले ही आपत्ति कर चुके है, उनका कहना है कि पहले दिन ढाई घंटे की कमीशन कार्यवाही के बाद अगले दिन भी कमीशन का समय तय शुरू कर दी गई, फिर कमीशन विलंबित करने के लिए कमिश्नर को हटाए जाने का कोई औचित्य नहीं है। वादिनी गण की तरफ से आवेदन देकर कहा गया कि मस्जिद परिसर में स्पष्ट आदेश के बावजूद कमीशन को रोकने के लिए मुस्लिम सदस्य पहले ही परिसर में छिपकर बैठे रहे, जबकि नमाज के बाद वहां एक या दो सदस्य ही रह सकते है।

सुनवाई में वादी पक्ष ने कहा कि 1990 तक इस परिसर में पूजा चल रही थी और यहां तहखाना पाया गया इसके बाद जिला प्रशासन ने ताले की चाबी नहीं मिलने की बात की थी। सुनवाई के दौरान अन्जुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी पर बाधा डालने और प्रशासन पर कोर्ट के आदेश को लागू कराने में रुचि न लेने का आरोप लगाया गया है। वादिनी गण ने ज्ञानवापी मस्जिद समेत पूरे बैरिकेटिंग, तहखाना का ताला तोड़कर की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी के साथ दोनों पक्षकारो और उनसे जुड़े वकीलों को प्रवेश देने के लिए यूपी सरकार, डीएम और पुलिस आयुक्त को आदेशित करने की मांग की। वहीं एक पक्षकार राखी सिंह के पैरोकार जितेंद्र सिंह विसेन ने वादी पक्ष की तरफ से सात बिंदुओं पर दिए गए आपत्ति का समर्थन किया।

सुनवाई के दौरान अधिवक्ता चंद्रशेखर सेठ निवासी कोतवालपुरा दशाश्वमेध ने अधिवक्ता अरुण कुमार त्रिपाठी के जरिये अपने को हिंदू धर्मावलंबी और मां श्रृंगार गौरी अन्य देव विग्रहों में आस्था जताते हुए कहा देवताओं के इस मुकदमे में वह पक्षकार बनना चाहता है, अदालत ने इस आवेदन पर पक्षकारों से आपत्ति मांगी है।

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