शनि जयंती, सोमवती अमावस्या और वट सावित्री व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व



सोमवार, 30 मई को ज्येष्ठ मास की अमावस्या है. इस तिथि पर शनि देव की जयंती (Shani Jayanti) मनाई जाती है. इस बार ज्येष्ठ माह की अमावस्या सोमवार को होने से इसे सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) कहते हैं. इस अमावस्या पर शनि की विशेष पूजा के साथ ही शिव पूजा और पितरों के लिए दान-पुण्य करना चाहिए. कई क्षेत्रों में इसी तिथि में वट सावित्री व्रत (Vat Savitri Vrat) मनाया जाएगा. ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि शनि जयंती और वट सावित्री अमावस्या 30 मई को एक साथ मनाई जाएगी. इस दिन तिथि, वार और नक्षत्र से तीन बड़े शुभ संयोग रहेंगे. जो अखंड सौभाग्य की कामना से व्रत रखने वाली महिलाओं और शनि भक्तों के लिए मंगलकारी होंगे. इस दिन किए गए तीर्थ स्नान, दान या पवित्र नदी के जल से नहाने से कई गुना पुण्य फल मिलता है. इस पर्व पर जरुरतमंद लोगों को भोजन और जल दान करने से कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है. सोमवती अमावस्या कृत्तिका नक्षत्र रहेगा. इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग में शनि जन्मोत्सव मनाया जाएगा. शनि देव स्वयं की कुंभ राशि में रहेंगे, इस वजह से शनि जयंती का महत्व और अधिक रहेगा. इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करें और पितरों के नाम पर दान-पुण्य करें. शुभ संयोग: ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि अमावस्या का प्रवेश सर्वार्थ सिद्धि योग में होगा. चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेगा और सूर्योदय के समय बुधादित्य योग इस दिन की शुभता में वृद्धिदायक रहेंगे. शनि, खुद की ही राशि कुंभ में है और बृहस्पति भी अपनी ही राशि में रहेगा. इन दोनों ग्रहों का स्वराशि में होना शुभ प्रभाव को और बढ़ाएगा. साथ ही सुकर्मा, वर्धमान और केदार योग में आने वाला ये पर्व और भी खास हो जाएगा. सोमवार होने से इस दिन सोमवती अमावस्या का शुभ योग भी रहेगा. सुकर्मा योग का महत्व: ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में सुकर्मा योग को शुभ योगों में गिना जाता है. मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्यों में सफलता जरूर मिलती है. इस योग को खासकर नौकरी बदलने व मांगलिक कार्य करने के लिए शुभ माना जाता है. धृति योग का महत्व: ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि सोमवती अमावस्या के दिन धृति योग रहेगा. धृति योग किसी भवन एवं स्थान का शिलान्यास, भूमि पूजन या नींव पत्थर रखने के लिए उत्तम माना गया है. इस योग में रखा गया नींव पत्थर आजीवन सुख-सुविधाएं प्रदान करता है. अमावस्या तिथि: अमावस्या तिथि प्रारम्भ- रविवार 29 मई, 2022, दोपहर 02:54 से अमावस्या तिथि समाप्त- सोमवार 30 मई, 2022 सायं 04:59 पर करें शिव पूजन: कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि अमावस्या सोमवार को होने से इस दिन शिव जी की विशेष पूजा जरूर करनी चाहिए. अमावस्या पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद घर के मंदिर में या किसी अन्य शिव मंदिर में पूजा करने का संकल्प लें. इसके बाद गणेश जी की पूजा करें. गणेश पूजन के बाद शिव पूजा करें. शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं. चांदी के लोटे से दूध चढ़ाएं. बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, जनेऊ, चावल, चंदन, शहद आदि चीजें चढ़ाएं. ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें. मिठाई का भोग लगाएं. धूप-दीप जलाएं और आरती करें. पूजा के बाद भगवान से जाने-अनजाने में हुई गलतियों के क्षमा मांगे. अंत में प्रसाद बांटें और खुद भी ग्रहण करें. शनि देव की पूजा: कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि शनि जयंती पर शनि प्रतिमा का सरसों के तेल से अभिषेक करना चाहिए. ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जप करें. शनि देव को नीले फूल, नीले वस्त्र अर्पित करें. भगवान को काले तिल से बने व्यंजन का भोग लगाएं. लोहे का दीपक जलाएं और आरती करें. पूजा के बाद प्रसाद बांटें और खुद भी ग्रहण करें. जरूरतमंद लोगों को काले तिल, सरसों के तेल और जूते-चप्पल का दान जरूर करें. वट सावित्री: भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि वट सावित्री अमावस्या सुहागिनों के लिए खास दिन होता है. इसी दिन सावित्री ने इसी पूजा से यमदेव को प्रसन्न कर पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी. पति की लंबी उम्र और परिवार की समृद्धि के लिए अमावस्या पर महिलाएं बरगद के पेड़ पर जल चढ़ाकर उसके तने पर कच्चा धागा लपेटती हैं. फिर वट वृक्ष की पूजा करती हैं. इसके बाद सौभाग्य और समृद्धि की कामना से पेड़ की परिक्रमा करती हैं. दान का दिन: भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि ज्येष्ठ अमावस्या को शनिदेव का प्रकटोत्सव है. ये न्याय के अधिपति देव हैं. शनि से जुड़े दोषों से राहत पाने के लिए ज्येष्ठ अमावस्या बहुत ही खास दिन होता है. शनि देव अच्छे कर्म करने वालों से प्रसन्न रहते हैं. इनकी कृपा पाने का एक सहज उपाय ये है कि बूढ़े, रोगी, दिव्यांग और असहाय लोगों की मदद करें और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ