आठ साल पहले तक गोरखपुर शहर के डस्टबिन के रूप में पहचान रखने वाले रामगढ़झील से जहां विभागों को करोड़ों की कमाई हो रही है, वहीं सैकड़ों लोगों को इससे रोजगार भी मिला हुआ है। मछली आखेट, तैरते रेस्टोरेंट, क्रूज, वाटर स्पोर्ट्स आदि से प्राधिकरण से लेकर पर्यटन विभाग को 15 करोड़ से अधिक की सलाना कमाई हो रही है। वर्तमान में रेस्टोरेंट, बोट से लेकर ठेला आदि से 1000 से अधिक लोगों को रोजगार मिला हुआ है। चंद महीनों में यह संख्या डबल होने वाली है।
बतौर सांसद योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से झील का जीर्णोद्धार कार्यक्रम उनके मुख्यमंत्रित्व काल में मुकाम पर पहुंचता दिख रहा है। सिर्फ मछली पकड़ने का अधिकार बेचकर जीडीए हर साल 5.50 करोड़ की कमाई कर रहा है। हालांकि फिलहाल मामला कोर्ट में लंबित है। इसके साथ ही शिकारा, स्पीड बोट, पैडल बोट आदि से प्राधिकरण को सालाना तीन करोड़ रुपये से अधिक की कमाई हो रही है। पिछले दिनों प्राधिकरण ने तैरते रेस्टोरेंट से लेकर क्रूज संचालन को लेकर बोली आमंत्रित किया था। क्रूज के लिए चार फर्मों की ओर से बोली लगाई गई।
सर्वाधिक बोली राजकुमार राय द्वारा लगाई गई। उनकी फर्म ने हर महीने सात लाख 41 हजार रुपये किराया देकर क्रूज संचालित करने पर सहमति दी है। यहां करीब छह से सात करोड़ रुपये का लग्जरी क्रूज चलाने की संभावना है। बेहतर क्रूज लाकर, निर्धारित किराया देकर अन्य फर्में भी क्रूज चला सकेंगी। फ्लोटिंग रेस्टोरेंट के लिए करीब चार लाख 52 हजार रुपये प्रति महीने किराये की बोली लगी है। इसके साथ ही पार्किंग और रेस्टोरेंट का आवंटन कर भी प्राधिकरण अच्छी कमाई कर रहा है।
पर्यटन विभाग कर रहा 1.28 करोड़ की कमाई : वाटर स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स के संचालन को लेकर पर्यटन विभाग की भी अच्छी कमाई हो रही है। निषाद नौकायन विकास समिति इसके संचालन के लिए प्रतिवर्ष 1.28 करोड़ रुपये दे रहा है। आगे से सालाना 5 फीसदी की बढ़ोतरी की जाएगी।
रामगढ़झील में बोटिंग, शिकारा, स्पीड बोट, रेस्टोरेंट आदि के बहाने 200 से अधिक को सीधा रोजगार मिला हुआ है। पैडलेगंज से लेकर नौकायत केन्द्र तक 200 से अधिक फास्ट फूड सेंटर और और ठेलों पर काम से 600 से 800 को रोजगार मिला हुआ है। झील के सामने एक फाइव स्टार होटल तो खुल ही रहा है, कई रेस्टोरेंट खुल भी गए हैं। एक रेस्टोरेंट के संचालक राहुल सिंह का कहना है कि रामगढ़झील पूरे पूर्वांचल में सैलानियों के आकर्षण का बड़ा केन्द्र है। अभी यहां जितना विकास होना है, उसका 20 फीसदी भी नहीं हुआ है। इस इलाके की तरक्की की कल्पना करना अभी मुश्किल है।
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