मेरठ। नेशनल ऑटोमेटिक फिंगर प्रिंट आइडेंटिटी सिस्टम (नाफिस) अब हर अपराधी की कुंडली तैयार करेगा। जिला स्तर पर इसका गठन होने के बाद काम शुरू हो गया है। अभी तक 75 अपराधियों का संपूर्ण विवरण इसमें दर्ज हो चुका है। खास बात यह है कि इसे नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) से जोड़ा गया है। इस पर किसी अपराधी का कोई विवरण एक बार दर्ज हुआ तो फिर फेरबदल नहीं हो सकेगा। पुलिस की गिरफ्त में आए कुख्यात अपराधी भूपेंद्र बाफर की कुंडली भी इस पर तैयार हो चुकी है। 75 साल डाटा सुरक्षित रखा जाएगा।
पुलिस ने अपराधियों का विवरण और फिंगर प्रिंट सहेजना शुरू किया लेकिन अपराध के ग्राफ में कोई खास गिरावट नहीं आई। दंड प्रक्रिया (शिनाख्त) अधिनियम-2022 के तहत नई व्यवस्था तैयार हुई, जिसे ‘नाफिस’ नाम दिया गया। यह अपराधियों के मंसूबे फेल कर देगा। इसके लिए क्राइम ब्रांच में सेल तैयार की गई है।
पुलिस गिरफ्त में आने वाला अपराधी जेल जाने से पहले ‘नाफिस’ सेल में पहुंचेगा। यहां उस अपराधी का नाम, पता, कहां-कहां अपराध किए, किस-किस जेल में रह चुका के साथ संपूर्ण आपराधिक इतिहास के अलावा अंगुलियों की छाप (फिंगरप्रिंट), पैरों-तलवों की छाप (फुटप्रिंट), आंखों के आइरिस व रेटिना का बायोमीट्रिक डाटा दर्ज होगा। भविष्य में खून, बाल व लार आदि जैविक नमूने लेने की योजना है।
एसपी क्राइम के अधीन काम करने वाली इस सेल में स्टाफ भी तकनीकि रूप से ज्ञान रखने वाला तैनात किया गया है। बीटेक, बीएससी, एमटेक और एमएससी करने वाले पुलिसकर्मियों को प्राथमिकता दी गई है। यह पूरा स्टाफ कंप्यूटर के अलावा थंब स्कैनर, लाइव स्कैनर, लॉजिस्टिक कैमरा, फ्लैट बैक स्कैनर के अलावा विवरण दर्ज करने वाले ‘मीसा’ साफ्टवेयर का भी अच्छा ज्ञान रखते हैं।
नाफिस सेल प्रभारी नीरज कुमार आनंद ने बताया कि एक बार विवरण दर्ज होने के बाद उसमें फेरबदल नहीं हो सकेगा। कोई अपराधी बाइज्जत बरी होता है तो उसे सेल में प्रार्थना पत्र देना होगा। यहां से उसे एडीजी (तकनीक) को भेजा जाएगा। वह प्रक्रिया पूरी कर उसका डाटा एनसीआरबी को भेजेंगे। एनसीआरबी ही अपराधी का डाटा नष्ट करेगी।
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