रिपोर्ट: इंद्रेश तिवारी
बरईपार जौनपुर: महराजगंज ब्लॉक के कंधी गाव में आयोजित सात दिवसीय संगीतमयी राम कथा के कथा वाचक कासी से आये मानश कोविद डॉ मदन मोहन मिश्रा ने राम भरत मिलाप की कथा सुनाते हुए कहा कि भरत ननिहाल से आकर अपने पिता का अंतिम संस्कार कर अयोध्या से गुरु वशिष्ठ को साथ लेकर तीनों माताओं के साथ वन के लिए प्रस्थान किया। आगे निसाद राज से भेंट हुई तब ज्ञात हुआ कि भारद्वाज ऋषि के आश्रम में राम पधारे थे। ऐसा जानकर भरत ने मुनि को प्रणाम कर प्रभु श्रीराम का कुशल छेम पूछा। तब पता चला कि प्रभु चित्रकुट में कुटी बनाकर निवास कर रहे हैं।तब भरत की यात्रा चित्रकुट के लिए प्रस्थान हुई। देवताओं ने भरत की सेवा कर भक्तों का मान बढ़ाया। आगे जब श्रीराम ने भरत को देखा तो मन ही मन प्रसन्न हुए। राम और भरत का मिलन देखकर देवताएं भी पुष्प वृष्टि करने लगे। सीता ने अपनी सासू माताओं को प्रणाक कर पिता जनक से मिली। उसके बाद वशिष्ठ के चरणों की पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त की।
उधर भरत अयोध्या जाने को तैयार नहीं हो रहे हैं। राम ने बताया भरत पिता के वैकुंठ जाने पर प्रजा की रक्षार्थ आप हमारी चरण पादुकाओं को अयोध्या की राजगद्दी पर स्थापित करें। ऐसा वचन सुन भरत को संतोष हुआ। आगे पादुका सिर पर धारण कर अयोध्या पुन: वापस आ गए और नंदी गांव में कुश का आसन बिछाकर 14 वर्ष अयोध्या के प्रजा की सेवा कर अपनी रामभक्ति का अनूठा प्रदर्शन किया। इसलिए संतों ने कहा है कि बड़ा भाई हो तो श्रीराम जैसे और छोटा भाई हो तो भरत जैसे। इस अवसर पर हरिशंकर शुक्ल अतुल मिश्र श्याम जी मिश्र महेन्द्र पांडेय जितेंद तिवारी संजय तिवारी आदि रहे। श्रद्धालुओं ने श्रीराम कथा सुन भाव विभोर हो गए।आयोजक श्याम जी मिश्र ने लोगो का आभार व्यक्त किया।
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