छह साल की बच्ची के गले में फंसा पेंसिल का छिलका, तड़प-तपड़ कर गई जान



उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में एक सनसनीखेज घटना सामने आई है। छह साल की बच्ची के गले में पेंसिल का छिलका फंसने से उसकी दर्दनाक मौत हो गई। घटना राठ कोतवाली कस्बे के पहाड़ी वीर गांव की है। मासूम की मौत पर गांव में सन्नाटा पसर गया है। बच्ची के पिता का नाम नंदकिशोर है। मासूम गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में कक्षा एक की छात्रा थी।

बच्ची के पिता नंदकिशोर की मानें तो उसके पास छह बीघा कृषि योग्य भूमि है, जिस पर खेती-किसानी कर वह अपने परिवार का गुजर-बसर करता है। उसके तीनों बच्चे गांव के ही प्राथमिक स्कूल में पढ़ते हैं। तीनों बच्चों को स्कूल से होमवर्क मिला था। होमवर्क को पूरा करने के लिए सभी घर की छत पर गए थे। इसी बीच, अर्तिका ने कटर को मुंह में फंसाकर पेंसिल को छिलना शुरू कर दिया। तभी पेंसिल का छिलका उसके गले में जा फंसा। वहां मौजूद उसके दोनों बच्चों ने अपनी मां अनीता को तत्काल उसकी मदद के लिए बुलाया। मां ने पीठ ठोक कर और पानी पिलाकर किसी तरह छिलके को बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन छिलका गले में ही फंसा रहा।

आनन-फानन में उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र राठ ले जाया गया, जहां डॉ सत्येंद्र यादव ने उसे मृत घोषित कर दिया। पिता नंदकिशोर ने बताया कि उनके तीन बच्चे हैं। तीनों बच्चों के नाम अंशिका (8 वर्ष), अर्तिका (6 वर्ष) और अभिषेक (12 वर्ष) हैं। घटना के बाद से परिजनों में मायूसी छायी हुई है। बच्ची के मां के आंखों से आंसू नहीं रुक रहे हैं।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी सत्येंद्र यादव की माने तो संभवत: पेंसिल का छिलका मासूम छात्रा के गले में जाकर उसकी सांस की नली में फस गया था। इसके चलते उसको सांस लेने में परेशानी हुई और फेफड़ों में ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हो सकी और उसकी मौत हो गई। सत्येंद्र यादव ने कहा कि माता-पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चों को पढ़ाई के दौरान खुद देखें या उनके पेंसिल छीलकर खुद उन्हें दें। बच्चों को यह आदत डालें कि वह किसी भी चीज को मुंह में ना डालें।

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