किसानों के साथ ईट भट्टा मालिकों की भी कमर तोड़ गई बेमौसम बारिश



बरेली से संवाददाता डॉक्टर मुदित प्रताप सिंह की रिपोर्ट

जनपद बरेली शीशगढ़ _  किसानों के साथ भट्टा मालिकों की भी कमर तोड़ गई बेमौसम बारिश। कच्ची ईंट लगाने से मोटे घाटे में पहुंच गए भट्टा संचालक। जानकारी के अनुसार वे मौसम बारिश ईट भट्टा संचालक व किसानों पर कहर बनकर टूटी  मूसलाधार बारिश  बर्बादी की नई इबारत लिख गयी। एक तरफ किसान बर्बादी के आशु वाह रहा है वहीं  दूसरी ओर ईंट भट्ठा संचालकों को भी यह बारिश गहरे जख्म गई। 

आज के दौर में कोयले के दाम अधिक होने व ईंट के रेट कम होने  के कारण ईंट उद्योग संकट के दौर से गुजर रहा है  रही बची कसर बेमौसम बारिश ने पूरी कर दी बारिश भट्टा  संचालकों के  लिए आफत बनकर टूटी है। 

जिला ईंट निर्माता समिति के अध्यक्ष डॉक्टर हाजी आफताब अहमद ने बताया कि जिले में करीब 300 ईंट भट्ठे है। सभी ईंट भट्ठे संकट के दौर से गुजर रहे है। कोयले के दामों में लगातार हो रही वृद्धि ने भट्टा मालिकों  के लिए संकट पैदा कर दिया है। वर्तमान समय मे जिले के सभी ईंट भट्ठे बर्बादी के कगार पर पहुंच गये है। एक तो भट्टा संचालक कोयले की बढ़ती कीमत की मार झेल रहे है। बर्षा ने  तो कमर ही तोड़ दी है। बारिश ने ऐसी तबाही मचाई की भट्टे पर बनी खड़ी कच्ची ईंटे जमीदोंज हो गई। प्रत्येक ईंट भट्ठे पर 10 से 20 लाख कच्ची ईंट बारिश से गल गई। जिस कारण अधिकांश ईंट भट्ठे बंदी के कगार पर पहुंच गए है।

कोयले के दाम दो गुना हो गए लेकिन ईंट के दाम घट गए।

पिछले दो सालों की बात की जाय तो कोयले के दामों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। कोयला दो गुने से अधिक दामों में पहुंच गया। इसके विपरीत यदि पक्की ईंट की बात करें तो प्रत्येक 2 से तीन हजार रुपये की गिरावट आई है। ईंट के दामों में यह गिरावट  चिंताजनक है। क्योंकि भट्टे पर काम आने बाली हर चीज की महंगाई में प्रति वृद्धि हुई  है। कच्ची ईंट बनाने से लेकर अन्य लेवर जैसे निकासी, बेलदार, लकड़ी आदि सभी के रेट तेजी के साथ बढ़े है। मंदी के इस दौर में भट्टा संचालक संकट के दौर से गुजर रहे है यदि यही स्थित रही तो अधिकांश ईंट भट्ठे घाटे में पहुंचेंगे।



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