संवाददाता मुदित प्रताप सिंह की रिपोर्ट
बरेली _ शुभम साहित्यिक संस्था की कवि गोष्ठी में छाए कई कवि-शायर। खूब बटोरी वाहवाही। देर तक बजती रहीं तालियां। वरिष्ठ वामपंथी - आर्यसमाजी विचारक-कवि रजत कुमार, विकल्प संस्था के अध्यक्ष राजनारायण, कवि एके 'तन्हा' और अध्यात्म के चर्चित युवा हस्ताक्षर ऋतेश साहनी हुए सम्मानित।
जनपद बरेली _ शुभम मेमोरियल साहित्यिक- सामाजिक जनकल्याण समिति के तत्वावधान में सरस, विचारोत्तेजक एवं यादगार काव्य गोष्ठी गुलाब नगर मोहल्ले की रानी साहिबा की बगिया हनुमान मंदिर में आयोजित की गई। पिता राजकुमार अग्रवाल के जन्मदिन पर उनके कवि पुत्र द्वारा चार कवियों-समाजसेवियों को सम्मानित भी किया गया।
किच्छा (उत्तरांचल) से आए मुख्य अतिथि नबी अहमद मंसूरी, अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ ग़ज़लकार विनय साग़र जायसवाल, संचालक रणधीर प्रसाद गौड़ 'धीर' ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप जलाकर और पुष्पार्चन कर, फूलमालाएं पहनाकर और वरिष्ठ लोकगीतकार रामधनी 'निर्मल' ने भावपूर्ण-सरस वाणी वंदना कर कवि गोष्ठी का विधिवत् शुभारंभ किया।
चर्चित-युवा शायर पीयूष गोयल 'बेदिल' ने ग़ज़ल के इन अशआर से खूब तालियां और वाहवाही बटोरी-
बस अपनी आरजू के हो गए सब
न जाने लोग कैसे हो गए अब?
गरीबी ने ये दिन भी था दिखाया-
सजा दी और बहरे हो गए सब।
अध्यक्षता कर रहे मशहूर शाइर एवं कवि विनय साग़र जायसवाल की इस ताज़ा ग़ज़ल को मंच के साथ ही सभी काव्य प्रेमियों द्वारा भी खूब पसंद किया गया-
मिसरा दिया है ऊला तो सानी भी भेज दो
राजा के वास्ते ख़ुदा रानी भी भेज दो।
श्री साग़र ने अपने इस सदाबहार गीत पर भी खूब तालियां बटोरीं-
यह आग अभी तक जलती है ,मेरे आलिंगन में।
स्वर मिला सका न कभी कोई,श्वासों के क्रंदन में ।।
इस जग का हर आकर्षण,'साग़र' मात्र छलावा है ।
संबंधों के हर दर्पण पर,बस सजा दिखावा है।
कितने दिन किससे साथ निभे, अब ऐसे बंधन में।।
वरिष्ठ कवि-पत्रकार गणेश 'पथिक' ने राष्ट्रीय स्वरों को वाणी देते अपने इस गीत पर खूब प्रशंसा और वाहवाही बटोरी-
लेखनी की धार को अंगार बनने दो-
मुझे अब कविता नहीं, तलवार लिखने दो।
गीतकार उपमेंद्र सक्सेना ने जब यह गीत पढ़ा तो सभी लोग देर तक तालियाँ बजाते रहे-
करें समालोचक भी अब क्या, तुकबंदी मंचों पर छाई
इसीलिए तो चल जाता है, अपना जादू देखो भाई।
आध्यात्मिक रचनाओं के चर्चित युवा हस्ताक्षर ऋतेश साहनी की यह कविता भी खूब पसंद की गई-मानव नहीं जानता प्रभु कौन है
मानव यह भी नहीं समझता कि वह कौन है
शुद्ध आत्मा होते हुए भी अज्ञानता वश स्वयं को तन समझता
यह दिव्य निराकार हरि तो ऋतेश गहन मौन है।
संस्थाध्यक्ष सत्यवती सिंह 'सत्या', वरिष्ठ हास्य कवि-गीतकार मनोज दीक्षित 'टिंकू' ने कवि राजकुमार अग्रवाल के जन्म दिन पर उनके कवि पुत्र हिमांशु अग्रवाल के साथ मिलकर ॠतेश साहनी, वरिष्ठ वामपंथी विचारक एवं कवि रजत कुमार, 'विकल्प संस्था' के अध्यक्ष-समाजसेवी राजनारायण और कवि अश्विनी कुमार 'तन्हा' को शाॅल उढ़ाकर और स्मृति-चिन्ह भेंट कर सम्मानित भी किया।
मुख्य अतिथि नबी अहमद मंसूरी के श्रीकृष्ण और श्रीराम की महिमा का सम-सामयिक संदर्भों में बखान करते छंदों को भी सबकी खूब सराहना मिली। वरिष्ठ कवयित्री स्वर कोकिला सत्यवती सिंह 'सत्या' ने यह ग़ज़ल पढ़ी तो पूरा सदन वाहवाह कर उठा-
मुझे आपने जो पुकारा न होता
तो मैंने ये दामन संवारा न होता।
सितम के अंधेरे में तुम खो ही जाते,
जो मेरे करम का सितारा न होता।
गोष्ठी का सफलतापूर्वक काव्यमय संचालन कर रहे वरिष्ठ कवि रणधीर गौड़ 'धीर', हास्य कवि मनोज दीक्षित 'टिंकू' आदि की रचनाएं भी काफी प्रशंसित हुईं।
काव्य गोष्ठी में रामकुमार भारद्वाज 'अफरोज़', दीपक मुखर्जी, बृजेंद्र तिवारी 'अकिंचन', राम प्रकाश सिंह 'ओज', किशन 'बेधड़क', अभिजीत 'अभि', राम बहादुर गंगवार, राजकुमार अग्रवाल, मनोज सक्सेना, हिमांशु अग्रवाल समेत दो दर्जन से अधिक कवियों-शायरों ने भी काव्यपाठ किया और खूब तालियां बटोरीं।
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