एक जुलाई से भारत में तीन नए कानून लागू होने जा रहे हैं, जो जनता के लिए कई मायनों में सहूलियतें लेकर आएंगे। भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के रूप में ये बदलाव पुराने कानूनों को बदल देंगे और नए प्रावधानों के माध्यम से आम आदमी को राहत देंगे।
एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया में बदलाव
अब एफआईआर दर्ज कराने के लिए अपराध की जगह के थाने जाने की आवश्यकता नहीं होगी। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 173 के तहत जीरो एफआईआर को कानूनी मान्यता दे दी गई है। इसका मतलब है कि अब कहीं से भी एफआईआर दर्ज कराई जा सकेगी।
मुकदमा वापस लेने की प्रक्रिया
बनारस बार एसोसिएशन के पूर्व महामंत्री नित्यानंद राय के अनुसार, नए कानून लागू होने के बाद मुकदमा वापस लेना आसान नहीं होगा। पीड़ित को अदालत में अपनी बात रखने का मौका मिलेगा और अदालत पीड़ित को सुने बिना मुकदमा वापस नहीं लेगी।
इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य का महत्व
नए कानूनों में वीडियो और फोटो जैसे इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को कानूनी मान्यता दी गई है। इससे अब इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों का भी महत्व बढ़ जाएगा और ये अदालत में प्रस्तुत किए जा सकेंगे।
छोटे अपराधों में पुलिस की कार्यवाही
मारपीट, गालीगलौज या छोटे अपराधों में, जहां आरोपी का कोई पुराना आपराधिक इतिहास नहीं है, पुलिस अब बिना हथकड़ी लगाए आरोपी को थाने ले जाएगी।
मुकदमों का त्वरित निस्तारण
नए कानूनों में यह व्यवस्था की गई है कि आपराधिक मुकदमों का निस्तारण तीन वर्षों के भीतर किया जाए, जिससे 'तारीख पर तारीख' का सिलसिला खत्म हो सके।
दुष्कर्म पीड़िताओं के लिए विशेष प्रावधान
दुष्कर्म पीड़िताओं के बयान अब उनकी सुविधानुसार जगह पर दर्ज किए जाएंगे। बयान की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी और इसे अदालत में सुरक्षित रूप से दाखिल किया जाएगा।
सड़क हादसे में सजा और जुर्माना
सेंट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विवेक शंकर तिवारी ने बताया कि सड़क हादसे में मौत की स्थिति में दोषी चालक को अब पांच साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। डॉक्टर की लापरवाही से किसी मरीज की मौत होने पर भी दोषी को दो साल की सजा और जुर्माना देना होगा।
भावेश की रिपोर्ट
0 टिप्पणियाँ