गोंडा ट्रेन हादसे की जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा: ट्रैक की मरम्मत में कपड़े का इस्तेमाल



उत्तर प्रदेश के गोंडा में हुए चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस (15904) ट्रेन हादसे की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में हैरान कर देने वाले तथ्य सामने आए हैं। जांच रिपोर्ट में पाया गया कि ट्रेन के पटरी से उतरने का कारण रेल ट्रैक को ठीक से न बांधना था। हैरानी की बात यह है कि रेल ट्रैक को बांधने के लिए कम से कम 72 इलास्टिक रेल क्लिप के साथ कपड़े के टुकड़ों का इस्तेमाल किया गया था। 


रेलवे अधिकारियों की छह सदस्यीय टीम ने गुरुवार को यह रिपोर्ट सौंपी। टीम ने बताया कि गोरखपुर की ओर 638/8-10 किलोमीटर पर 72 क्लिप के साथ रेल को बांधने के लिए कपड़े के टुकड़े डाले गए थे। इसके अलावा, 140 क्लिप ढीली अवस्था में पाए गए, 38 क्लिप अपनी स्थिति से बाहर थे और 10 क्लिप गायब थे। 


इसी तरह कंक्रीट स्लीपर और मेटल रेल ट्रैक के बीच ग्रिप बनाने वाले 102 रबर पैड गायब पाए गए, जबकि 88 अपनी जगह से बाहर थे। हादसे के समय ट्रेन 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी। इस हादसे में चार यात्रियों की मौत हो गई और लगभग 29 लोग घायल हो गए।


जांच रिपोर्ट में इंजीनियरिंग विभाग को जिम्मेदार ठहराया गया है। पैनल के एक सदस्य ने इस राय से असहमति जताई, जबकि रेलवे के प्रवक्ता ने कहा कि फाइनल रिपोर्ट आने में समय लग सकता है। 


रेलवे की ओर से गठित कमिटी की 18 पेज की संयुक्त रिपोर्ट में लिखा है कि अल्ट्रासाउंड फॉल्ट डिटेक्शन टीम के सीनियर सेक्शन इंजीनियर ने दोपहर 1.30 बजे आईएमआर डिफेक्ट का पता लगाया था, लेकिन ट्रेन 2.28 बजे मोतीगंज स्टेशन से गुजरी। दोपहर 2.30 बजे मोतीगंज के स्टेशन मास्टर को ट्रेनों को 30 किलोमीटर प्रति घंटे की गति सीमा पर चलाने का ज्ञापन दिया गया।


रिपोर्ट में कहा गया है कि आईएमआर का पता चलने के बाद साइट को सुरक्षित रखा जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इसके कारण ट्रेन पटरी से उतर गई। 


रेलवे के विभिन्न विभाग इस दुर्घटना के कारणों पर अपनी-अपनी राय दे रहे हैं। रेलवे बोर्ड के एक सदस्य ने कहा कि ट्रैक के रखरखाव में घोर लापरवाही प्रतीत होती है, जबकि एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आईएमआर का पता चलने के बाद दोषपूर्ण ट्रैक को नए ट्रैक से बदलने के लिए तीन दिन का समय दिया जाता है।



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