आपराधिक न्याय प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव: ई-एफआईआर और वीडियो ट्रायल से मिलेगी नई रफ्तार



1 जुलाई से लागू होंगे तीन नए कानून, तकनीक से होगी कानूनी प्रक्रिया आसान

नई दिल्ली: 1 जुलाई 2024 से भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। तीन नए कानून – भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो गए हैं। ये कानून देश की न्याय व्यवस्था में डिजिटल और तकनीकी सुविधाओं का समावेश करेंगे, जिससे न्याय प्रक्रिया तेजी से पूरी हो सकेगी।

पुराने कानूनों की विदाई

अब भारतीय दंड संहिता (IPC), भारतीय साक्ष्य अधिनियम और दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) को खत्म कर दिया गया है। उनकी जगह अब तीन नए कानून लागू होंगे जो देशभर में प्रभावी होंगे। 

डिजिटल रिकॉर्ड्स और फॉरेंसिक साइंस का बढ़ेगा उपयोग

नए कानूनों के तहत दस्तावेजों की परिभाषा का विस्तार कर इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड्स, ई-मेल, सर्वर लॉग्स, कम्प्यूटर, स्मार्टफोन, लैपटॉप्स, एसएमएस, वेबसाइट, लोकेशनल साक्ष्य, और अन्य डिजिटल माध्यमों को कानूनी वैधता दी गई है। इसके अलावा, एफआईआर से लेकर जजमेंट तक की पूरी प्रक्रिया को डिजिटलाइज करने का प्रावधान भी किया गया है। 

ई-एफआईआर और जीरो एफआईआर की शुरुआत

नागरिकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए पहली बार ई-एफआईआर और जीरो एफआईआर की शुरुआत की गई है। अब अपराध कहीं भी हुआ हो, उसे अपने थाना क्षेत्र के बाहर भी रजिस्टर किया जा सकेगा। यह कदम नागरिकों के लिए बहुत राहतभरा साबित होगा।

हफ्तेभर में ऑनलाइन मिलेगा न्याय

नए कानूनों के तहत अदालतें आरोप पत्र दाखिल करने के 90 दिनों के अंदर और परिस्थितियों के अनुसार 180 दिनों के भीतर ट्रायल पूरा करने का प्रयास करेंगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि फैसला सुनाए जाने के 7 दिनों के अंदर उसे ऑनलाइन उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा, जिससे न्याय प्रक्रिया में तेजी आएगी और फैसले सालों तक लंबित नहीं रहेंगे।

त्वरित और पारदर्शी न्याय

इन नए कानूनों से देश की न्याय प्रणाली में पारदर्शिता और गति आएगी, जिससे नागरिकों को त्वरित और प्रभावी न्याय मिलेगा। 

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