नेम प्लेट विवाद: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूपी की दुकानों से गायब हुए नाम, जनता की प्रतिक्रिया जानें



सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के कांवड़ यात्रा से जुड़े एक आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दुकानों पर नेम प्लेट लगाने पर अंतरिम रोक लगा दी है। इस फैसले का असर तुरंत ही कांवड़ यात्रा मार्ग पर दिखाई देने लगा। अधिकतर दुकानदारों ने अपने नाम वाले फ्लैक्स हटा दिए हैं, जिससे कांवड़ियों और प्रशासन के बीच भ्रम की स्थिति बन गई है।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश और उसका प्रभाव

सोमवार को आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पुरकाजी से खतौली तक सभी प्रमुख ढाबों और दुकानों ने अपने नेम प्लेट्स हटा लिए। पुरकाजी बाईपास, छपार, रामपुर तिराहा और रुड़की रोड पर मिठाई की दुकानों के नाम वाले पोस्टर्स भी गायब हो गए हैं। 

दुकानदारों की राय

दुकानदार नदीम का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला राहत देने वाला है। उन्होंने कहा, "कांवड़ यात्रा शुरू हो चुकी है, अब सर्वसमाज को मिलकर कांवड़ यात्रा में सहयोग कर सकुशल संपन्न कराना चाहिए।" अन्य दुकानदारों ने भी स्वेच्छा से अपने नाम वाले फ्लैक्स हटाने की बात कही है।

प्रशासन और राजनीतिक प्रतिक्रिया

एसएसपी अभिषेक सिंह ने बताया कि ढाबा संचालकों ने स्वेच्छा से नाम प्रदर्शित कर लिए हैं। वहीं, एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस फैसले पर नाराजगी जताई। पूर्व सीएम अखिलेश यादव और मायावती ने भी इसका विरोध किया है। रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने मुजफ्फरनगर में सरकार के फैसले पर असहमति जताई।

धार्मिक गुरुओं की प्रतिक्रिया

योग साधना यशवीर आश्रम के संचालक यशवीर महाराज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह निर्देश निराशाजनक है, लेकिन उन्हें न्यायालय पर विश्वास है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाली सुनवाई में हिंदू समाज मजबूती के साथ अपना पक्ष रखेगा और उन्हें न्याय मिलेगा।

कांवड़ यात्रा के दौरान दुकानों पर लगे नेम प्लेट्स को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने उत्तर प्रदेश में एक नई बहस को जन्म दे दिया है। जनता की मिली-जुली प्रतिक्रिया के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा कैसे आकार लेता है।

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