जब 3 किलो आलू बनीं रिश्वत: यूपी के दारोगा का नया घूस 'कारोबार', जानिए कैसे 2 किलो पर मान गए!



उत्तर प्रदेश में दारोगा ने रिश्वत में 3 किलो आलू मांगे, मामला वायरल होने पर 2 किलो पर मान गए। एसपी ने चौकी इंचार्ज को सस्पेंड किया।


कन्नौज, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जिसने पूरे पुलिस महकमे को शर्मसार कर दिया है। यहां तैनात एक चौकी इंचार्ज ने रिश्वत की मांग इस तरह से की, जिसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। रिश्वत के तौर पर पैसे नहीं, बल्कि 3 किलो आलू की मांग की गई थी। जैसे ही यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिले के एसपी ने फौरन कार्रवाई करते हुए आरोपी चौकी इंचार्ज को निलंबित कर दिया है।


मामले का पूरा विवरण:

यह घटना सौरिख क्षेत्र के चौपुन्ना इलाके की है। यहां पर तैनात चौपुन्ना चौकी इंचार्ज रामकृपाल का एक ऑडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस ऑडियो में रामकृपाल एक सब्जी विक्रेता से बातचीत करते हुए 3 किलो आलू की डिमांड करते सुने जा सकते हैं। पुलिस की इस अनोखी मांग को लेकर सब्जी विक्रेता हैरान रह गया, लेकिन उसने अपने सीमित संसाधनों का हवाला देते हुए केवल 2 किलो आलू देने की बात कही।


दारोगा की धमकी:

ऑडियो में साफ सुना जा सकता है कि सब्जी व्यापारी की आर्थिक तंगी और अपनी समस्याओं का हवाला देने के बावजूद चौकी इंचार्ज ने उसे धमकाते हुए कहा कि वह अपनी जमानत का इंतजाम खुद कर ले। व्यापारी ने पुलिस के इस दबाव के आगे घुटने टेक दिए और अपनी मजबूरी का इजहार करते हुए 3 किलो की जगह 2 किलो आलू देने का प्रस्ताव रखा, जिसे चौकी इंचार्ज ने स्वीकार कर लिया।


एसपी का कड़ा रुख:

जैसे ही यह ऑडियो क्लिप वायरल हुई, मामला कन्नौज के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित कुमार आनंद के संज्ञान में आया। एसपी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत एक जांच टीम का गठन किया। जांच में यह पाया गया कि चौपुन्ना चौकी इंचार्ज रामकृपाल दोषी हैं। एसपी ने बिना देरी किए रामकृपाल को निलंबित कर दिया और उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी जारी कर दिए।


वायरल ऑडियो और जनता का गुस्सा:

सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस ऑडियो ने पुलिस विभाग की छवि को गहरा धक्का पहुंचाया है। लोग इस घटना को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। यह सवाल उठाया जा रहा है कि एक पुलिस अधिकारी कैसे इतनी छोटी सी रिश्वत के लिए अपने पद का दुरुपयोग कर सकता है। वहीं, एसपी के त्वरित कार्रवाई की भी सराहना की जा रही है, लेकिन यह घटना पुलिस विभाग की उस भ्रष्टाचार प्रवृत्ति को उजागर करती है, जो आम जनता की शिकायतों को हल्के में लेकर उनकी समस्याओं को और बढ़ा देती है।


रिश्वत की बदलती परिभाषा:

इस घटना ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिरकार रिश्वत की परिभाषा कहां तक बदल चुकी है। जहां पहले पैसे या सोने-चांदी की मांग होती थी, अब यह रिश्वत आलू जैसी आम वस्तु में भी बदल गई है। पुलिस अधिकारी, जिनका काम समाज की सुरक्षा और न्याय की गारंटी करना है, वे अपने पद का दुरुपयोग कर आम नागरिकों से ऐसी मामूली मांग कर रहे हैं, जो न केवल असंवेदनशील है बल्कि हास्यास्पद भी है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ