इलाहाबाद HC का बड़ा फैसला: 69000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण विवाद पर यूपी सरकार को नयी लिस्ट जारी करने का आदेश दिया।
उत्तर प्रदेश में 69,000 सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा को लेकर एक बार फिर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस मामले में अहम फैसला सुनाते हुए यूपी सरकार को नयी सूची जारी करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने यह निर्णय आरक्षण के नियमों की अनदेखी के आरोपों के बाद लिया है।
दरअसल, बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा 1 जून, 2020 को जारी किये गए परिणाम में सामान्य वर्ग की कटऑफ 67.11% और ओबीसी वर्ग की कटऑफ 66.73% तय की गई थी। इसके बाद से ही विवाद शुरू हो गया था। आरोप लगाया गया कि 19,000 पदों पर आरक्षण के नियमों का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया था। आरोप था कि अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27% के बजाय केवल 3.86% आरक्षण दिया गया, जबकि अनुसूचित जाति (SC) को 21% के बजाय केवल 16.2% ही आरक्षण मिला।
हालांकि, यूपी सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि भर्ती प्रक्रिया में सभी नियमों का पालन किया गया है। सरकार की ओर से कहा गया कि भर्ती के लिए निर्धारित मानकों के अनुसार ही सभी वर्गों को आरक्षण दिया गया है, और किसी भी वर्ग के साथ कोई अन्याय नहीं किया गया है।
यह भर्ती परीक्षा दिसंबर 2019 में आयोजित की गई थी, जिसमें 4.10 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने भाग लिया था। परीक्षा के बाद करीब 1.40 लाख परीक्षार्थियों ने इसे पास किया था। परिणाम आने के बाद मेरिट लिस्ट जारी की गई थी, लेकिन इस मेरिट लिस्ट के सामने आते ही आरक्षण को लेकर विवाद खड़ा हो गया। आरोप थे कि 19,000 पदों पर आरक्षण के नियमों का सही तरीके से पालन नहीं किया गया, जिसके चलते इस मामले को कोर्ट में चुनौती दी गई।
अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद यूपी सरकार को एक बार फिर से नयी सूची जारी करनी होगी। यह फैसला आरक्षण के नियमों की उचित पालन के संदर्भ में किया गया है। यह मामला अब एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है, और सरकार की नयी सूची को लेकर उम्मीदवारों के बीच उत्सुकता बनी हुई है।
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