अयोध्या के राम मंदिर में नाग पंचमी से झूलनोत्सव की शुरुआत, भक्तों को 20 फिट की दूरी से दर्शन का सौभाग्य।
अयोध्या का ऐतिहासिक और दिव्य राम मंदिर, जो करोड़ों हिंदुओं की आस्था का केंद्र है, एक बार फिर से भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बन गया है। सावन शुक्ल पंचमी की तिथि पर, जब पूरा देश सावन के महीने का स्वागत कर रहा है, अयोध्या के राम मंदिर में झूलनोत्सव का दिव्य आयोजन प्रारंभ हो गया है। यह उत्सव प्रतिवर्ष सावन के महीने में नाग पंचमी से प्रारंभ होकर पूर्णिमा तक चलता है, लेकिन इस बार इसके आयोजन ने भक्तों की विशेष श्रद्धा और उत्साह को और बढ़ा दिया है।
झूलनोत्सव का दिव्य आयोजन:
राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित रामलला की चल मूर्ति को इस बार एक विशेष चांदी के झूले में विराजमान किया गया है। यह झूला न सिर्फ भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र है, बल्कि इसमें रत्नजड़ित अद्भुत कारीगरी की गई है जो इसे और भी अद्वितीय बनाती है। 21 किलो की शुद्ध चांदी से बने इस 5 फिट ऊंचे झूले को 2021 में विशेष रूप से तैयार किया गया था। इस झूले में रामलला के साथ उनके तीनों भाई भी विराजमान होकर झूलते हैं। भक्त इस दिव्य दृश्य को नजदीक से देखने के लिए मंदिर में बड़ी संख्या में उमड़ रहे हैं।
भक्तों की असीम श्रद्धा:
इस बार झूलनोत्सव में भक्तों को रामलला के दर्शन का विशेष सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालु लगभग 20 फिट की दूरी से रामलला और उनके तीनों भाईयों को झूला झूलते हुए देख पा रहे हैं। यह नजारा इतना दिव्य है कि हर भक्त मंत्रमुग्ध होकर इस दृश्य को निहारता रह जाता है। इसके साथ ही कुछ विशेष श्रद्धालुओं को अपने हाथों से रामलला का झूला झुलाने का भी अवसर प्राप्त हो रहा है, जिससे उनकी भक्ति और श्रद्धा में चार चांद लग जाते हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन:
झूलनोत्सव के दौरान राम मंदिर में हर दिन सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। राम मंदिर की प्रांगण में प्रतिदिन संध्या को गीत-संगीत और भजनों की ध्वनि गूंजती रहती है। भक्ति रस में डूबे भक्तों के लिए यह एक अद्वितीय अनुभव है, जो उनके जीवन में नई ऊर्जा और श्रद्धा का संचार करता है। मंदिर के पुजारी भी विशेष मंत्रों के उच्चारण के साथ भगवान राम की पूजा-अर्चना कर रहे हैं।
प्रसाद वितरण और भोग:
भक्तों के लिए भगवान राम को विशेष भोग लगाया जा रहा है, जिसमें सावन के महीने के विशेष पकवान शामिल हैं। इसके बाद यह भोग भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। भक्तजन इस प्रसाद को बड़ी श्रद्धा से ग्रहण कर रहे हैं और इसे अपने घरों में भी ले जा रहे हैं।
झूलनोत्सव का महत्व:
यह उत्सव न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके पीछे का सांस्कृतिक महत्व भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह उत्सव भगवान राम की लीला को याद करने और उनके जीवन के आदर्शों को समझने का एक माध्यम है। झूलनोत्सव के दौरान मंदिर की सजावट और झूले की कारीगरी भी भक्तों को अद्वितीय और विशेष अनुभव प्रदान करती है।
इस बार के झूलनोत्सव ने अयोध्या के राम मंदिर को एक बार फिर से भक्तों के दिलों में स्थापित कर दिया है। रत्नजड़ित चांदी के झूले में विराजमान रामलला का दर्शन भक्तों के लिए एक ऐसा अनुभव है जो उन्हें भगवान के और करीब ले आता है। अयोध्या के इस दिव्य आयोजन का समापन सावन पूर्णिमा को होगा, लेकिन तब तक भक्तों की भीड़ और उनकी श्रद्धा निरंतर बढ़ती रहेगी। इस बार का झूलनोत्सव न सिर्फ अयोध्या बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है और यह आयोजन आने वाले वर्षों में भी भक्तों को आकर्षित करता रहेगा।
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