उज्जैन में नाग पंचमी पर खुला नागचंद्रेश्वर मंदिर, जानिए इस अद्वितीय प्रतिमा की विशेषता



उज्जैन में नाग पंचमी पर नागचंद्रेश्वर मंदिर खुला। भक्तों ने शिव-पार्वती की अनोखी प्रतिमा के दर्शन कर आशीर्वाद लिया।

उज्जैन में एक दिन के लिए खुला नागचंदेश्वर का मंदिर, भक्तों ने पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लिया।

संवाददाता मुदित प्रताप सिंह की रिपोर्ट

मध्य प्रदेश उज्जैन _ मध्य प्रदेश उज्जैन में नाग पंचमी पर एक लिए खुला नागचंदेश्वर मंदिर। भक्तों ने मंदिर में नाग चंदेश्वर के दर्शन कर पूजा अर्चना कर नाग देवता का आशीर्वाद लिया।                    


जानकारीके अनुसार उज्जैन का नाग चंदेश्वर मंदिर  क्यों खुलता है सिर्फ साल में एक दिन हिंदू धर्म में सदियों से नागों की पूजा करने की परंपरा रही है। हिंदू परंपरा में नागों को भगवान का आभूषण भी माना गया है। भारत में नागों के अनेक मंदिर हैं, इन्हीं में से एक मंदिर है उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर का, जो की उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है।


इसकी खास बात यह है कि यह मंदिर साल में सिर्फ एक दिन नागपंचमी (श्रावण शुक्ल पंचमी पर ही दर्शनों के लिए खोला जाता है। ऐसी मान्यता है कि नागराज तक्षक स्वयं मंदिर में रहते हैं।


नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा है, इसमें फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं। कहते हैं यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।


पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं। मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति में शिवजी, गणेशजी और मां पार्वती के साथ दशमुखी सर्प शय्या पर विराजित हैं। शिवशंभु के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं।

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