जन्माष्टमी पर कंफ्यूजन! 26 को घरों में, 27 को मंदिरों में जन्म लेंगे कान्हा; जानें सही उपवास-पूजन विधि



जन्माष्टमी 26 और 27 अगस्त को मनाई जाएगी, जानें किस दिन करें उपवास-पूजन और कौन सा दिन होगा खास, पूरी जानकारी यहाँ पढ़ें।


वाराणसी: जन्माष्टमी को लेकर इस बार भक्तों में खासा कंफ्यूजन था। हर साल भादो महीने की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। लेकिन इस बार, यह महोत्सव 26 और 27 अगस्त दोनों दिनों में मनाया जाएगा। 


काशी के विद्वान पंडित ऋषि द्विवेदी के अनुसार, इस साल का जन्माष्टमी व्रत अद्वितीय और दुर्लभ है क्योंकि अष्टमी के साथ मध्य रात्रि में रोहिणी नक्षत्र का संयोग हो रहा है, जिसे 'जयंती योग' कहा जाता है। 


जन्माष्टमी के दिन का चुनाव कैसे करें?

पंडित द्विवेदी का कहना है कि 26 अगस्त को गृहस्थजन अपने घरों में व्रत करेंगे और 27 अगस्त को मंदिरों में गोकुलाष्टमी के रूप में मनाई जाएगी। 26 अगस्त को सुबह 8:20 से अष्टमी तिथि शुरू होगी और 27 अगस्त को सुबह 6:34 बजे समाप्त होगी। वहीं, 26 अगस्त को रात 9:10 बजे रोहिणी नक्षत्र शुरू होगा और 27 अगस्त को रात 8:23 बजे तक रहेगा। 


कैसे करें उपवास और पूजन?

पंडित जी ने बताया कि 26 अगस्त की रात को हल्का भोजन करें और अगले दिन स्नानादि कर भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान करें। सूर्य, सोम, पवन, यम आदि देवताओं को प्रणाम करके उत्तरमुख बैठकर संकल्प लें कि आप इस व्रत को भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्ति के लिए कर रहे हैं। 


मध्याह्न के समय काले तिल के जल से स्नान करके देवकी के लिए सूतिका गृह तैयार करें। भगवान के जन्म के बाद, रात्रि में जागरण और भजन करें। व्रत करने से भक्तों को संतान सुख, धन की प्राप्ति और अंत में बैकुंठ धाम का आशीर्वाद मिलता है।


मूर्ति और श्रृंगार:

इस जन्माष्टमी पर राधा-कृष्ण की मूर्ति की स्थापना करें। अगर संतान सुख की कामना है तो बाल कृष्ण की मूर्ति स्थापित करें। भगवान श्रीकृष्ण को फूलों से सजाएं और पीले वस्त्र पहनाएं। काले रंग के वस्त्र या श्रृंगार का प्रयोग न करें।


इस प्रकार, इस बार की जन्माष्टमी पर करें सटीक उपवास और पूजन विधि और प्राप्त करें भगवान श्रीकृष्ण की असीम कृपा।

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