जौनपुर-प्रयागराज बॉर्डर पर रोडवेज की मनमानी: कमीशन के खेल में घंटों गोकुल ढाबे पर रुक रहीं बसें, यात्री बेहाल

सांकेतिक तस्वीर


जौनपुर-प्रयागराज बॉर्डर पर रोडवेज ड्राइवर कमीशन के चक्कर में घंटों गोकुल ढाबे पर बसें रोक रहे हैं, यात्री परेशान।

इंद्रेश तिवारी की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार यात्री सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए रोडवेज डिपो के भीतर सुविधाओं का विस्तार कर रही है। लाखों रुपए खर्च कर के डिपो के अंदर ही टी स्टॉल और नाश्ते की व्यवस्था की जा रही है, ताकि यात्रियों को बाहर भटकने की आवश्यकता न पड़े। लेकिन यह व्यवस्था मात्र डिपो तक सीमित रह गई है, क्योंकि रोडवेज की बसों के ड्राइवर और कंडक्टर कमीशन के लालच में आकर यात्रियों की यात्रा को कष्टप्रद बना रहे हैं।


दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे बड़े शहरों से प्रयागराज पहुंचने के बाद, यात्रियों को मुंगरा बादशाहपुर, गोरखपुर, आजमगढ़, शाहगंज, जौनपुर जैसी जगहों पर पहुंचने के लिए रोडवेज की बसें पकड़नी पड़ती हैं। यह यात्रा तब और कठिन हो जाती है, जब ये बसें बीच रास्ते में घंटों के लिए रुक जाती हैं। यह समस्या विशेष रूप से जौनपुर और प्रयागराज के बॉर्डर पर स्थित गोकुल रेस्टोरेंट एंड ढाबे पर सामने आई है, जहां लगभग सभी रोडवेज बसें अनिवार्य रूप से रुकती हैं।


गोकुल रेस्टोरेंट पर यात्रियों को 5 रुपये की चाय 10 रुपये में और 5 रुपये का समोसा 10 रुपये में खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है। यहां तक कि 10 रुपये की चाउमीन भी सीधे 40 रुपये में बेची जा रही है। यात्रियों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए ड्राइवर और कंडक्टर इन ढाबों पर रुकने का विशेष लाभ उठा रहे हैं, जबकि यात्री इस लूट का शिकार हो रहे हैं। 


यात्रियों की माने तो इन ढाबों के आसपास ज़हरखुरानी के मामले भी सामने आए हैं। यात्रियों को जहां प्रयागराज में अपनी ट्रेन पकड़ने की जल्दी रहती है, वहीं ड्राइवर और कंडक्टर को इसकी कोई परवाह नहीं होती। उनके लिए तो फ्री में मिलने वाला समोसा और चाय ही सर्वोपरि है। यात्रियों की ट्रेन छूट जाए, इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, बसें घंटों रुकती हैं, और यात्रियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।


कुछ लोगों का कहना है कि इन ढाबों से कमीशन का हिस्सा रोडवेज के उच्च अधिकारियों तक पहुंच रहा है, जिसके चलते यह खेल सालों से बेरोकटोक जारी है। शायद यही कारण है कि रोडवेज के अधिकारी इस मुद्दे पर कोई ठोस कार्रवाई करने से बच रहे हैं और यात्री हर दिन इस मनमानी का शिकार हो रहे हैं।


सरकार द्वारा की गई कोशिशें, जिनका उद्देश्य यात्रियों को बेहतर सेवाएं प्रदान करना था, वह केवल कागजों में ही सिमट कर रह गई हैं। इस प्रकार की अनियमितता और यात्रियों के प्रति लापरवाही ने प्रदेश में रोडवेज सेवाओं की छवि को धूमिल कर दिया है। 


यात्रियों ने सरकार से मांग की है कि इस मुद्दे पर तुरंत ध्यान दिया जाए और ऐसे ढाबों पर अनावश्यक बसों के रुकने पर सख्ती से रोक लगाई जाए। साथ ही, रोडवेज कर्मियों की इस प्रकार की मनमानी पर भी लगाम कसने की आवश्यकता है, ताकि यात्रियों को यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।

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