मछली शहर: विषैला जंतु के काटने पर इलाज के अभाव में अधेड़ की मौत, सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों पर सवाल उठे।
स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बना रेफर सेंटर,इलाज के अभाव में अधेड़ ने तोड़ा दम...
विषैला जंतु काटने पर सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने बिना समुचित इलाज के ही जिला अस्पताल किया रेफर
बीच रास्ते में ही अधेड़ ने तोड़ा दम
थाना क्षेत्र मछली शहर के दियावा गांव का मामला
रिपोर्ट...इंद्रेश तिवारी
मछ्ली शहर (जौनपुर)...अच्छे दिन का सपना दिखाने वाली भाजपा सरकार के तीसरे टर्म में भी लोगो का गांव में रहना अभिशाप बना हुआ है।इसका ताजा उदाहरण मछली शहर थाना क्षेत्र के दियावा गांव का मामला है,जहा किसी विषैला जंतु काटने के तीन घंटे बाद एक व्यक्ति की मौत हो जाती है।इससे पहले वह व्यक्ति इलाज के लिए मछली शहर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर गया,जहा उसे बिना समुचित इलाज के तुरंत जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।जिसने बीच रास्ते में ही दम तोड दिया।परिजनों का कहना है कि अगर स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र पर समुचित इलाज मिल गया होता तो इस अनहोनी से बचा जा सकता था।
क्षेत्र के दियावा गांव निवासी कमला शंकर शुक्ल(55) दियावा महादेव मंदिर के मुख्य द्वार के ठीक बगल चाय पान की दुकान चलाते थे,सावन के आखिरी सोमवार को शाम लगभग 7 बजे वह अपनी दुकान बंद कर पीछे किसी कार्यवस गए थे।वही उन्हें किसी विषैले जंतु ने काट लिया।जिसकी सूचना उन्होंने तुरंत परिजनों को दी।परिजन बिना देर किए स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र मछ्ली शहर पहुंचे,जहा से उन्हें जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।
गौर करने वाली बात है कि आजादी के इतने साल बाद भी गांव में जीवन यापन करने वाला व्यक्ति बुनियादी सुविधाओं के अभाव में दम तोड रहा है।यक्ष प्रश्न है कि क्या गावो में लोगो का रहना आज भी अभिशाप बना हुआ है?शायद विकसित भारत का सपना दिखाने वाली सरकार के लिए ऐसी घटनाएं शर्मशार करने वाली है।
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