बनारस में 'मेरी रातें, मेरी सड़कें': महिलाओं और LGBTQ समुदाय की हक और सम्मान की आवाज!




बनारस में महिलाओं और LGBTQ समुदाय ने आधी रात में मेरी रातें मेरी सड़कें मार्च निकालकर हक, सम्मान और समानता की मांग की।

वाराणसी विशेष संवाददाता

दिनांक 21 सितंबर 2024 को बनारस की सड़कों पर एक अद्वितीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जहां महिलाओं और LGBTQ समुदाय ने आधी रात में सड़कों पर उतरकर अपने हक, पहचान और सम्मान की आवाज बुलंद की। इस कार्यक्रम का नेतृत्व दख़ल संगठन ने किया और इसका नाम दिया गया मेरी रातें मेरी सड़कें।

महिलाओं और LGBTQ की नारेबाजी और मार्च
दुर्गाकुंड से लंका तक निकाले गए इस मार्च में महिलाओं और LGBTQ समुदाय के सैकड़ों लोग शामिल हुए। रात के अंधेरे में उनके नारे, गीत, और कविताएं सड़कों पर गूंजती रहीं। यह कार्यक्रम एक प्रकार का विरोध प्रदर्शन था, जो समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता, पितृसत्ता और महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ था।

दख़ल संगठन के विचार
सभा में दख़ल के प्रतिनिधियों ने कहा, "आने वाले समय में शक्ति की प्रतीक माँ दुर्गा का पर्व मनाया जाएगा। इस मौके पर हम बुराई पर भलाई की जीत का संदेश देना चाहते हैं। मणिपुर और बंगाल की हालिया घटनाओं ने महिलाओं के प्रति हो रहे अपराधों को उजागर किया है। आज के इस मार्च का उद्देश्य इन बुराइयों के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा देना है।"

महिला सुरक्षा पर गंभीर आंकड़े
सभा में श्रुति ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए। उन्होंने कहा, "भारत में हर घंटे 3 महिलाओं का बलात्कार होता है, और 96 प्रतिशत मामलों में आरोपी कोई जानने वाला होता है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों के बावजूद, सजा दर बेहद कम है।"

पितृसत्ता के खिलाफ संघर्ष
मैत्री ने पितृसत्ता और मर्दानगी को सामाजिक बुराई बताते हुए कहा, "महिलाओं को धार्मिक और सामाजिक स्थलों पर बराबरी का दर्जा नहीं मिलता। जब पुरुष ही नियम बनाएंगे, तो वे महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित रखेंगे। आजादी के 77 साल बाद भी महिलाएं समानता के अधिकार के लिए संघर्ष कर रही हैं।"

लोकगायिका का विशेष योगदान
दख़ल से जुड़ी लोकगायिका ज्योति ने कार्यक्रम में अपनी स्वरचित गीतों के माध्यम से महिला अधिकारों पर चेतना जगाई।




इस पूरे मार्च का सफल संचालन शिवांगी ने किया, और धन्यवाद ज्ञापन नीति ने दिया। कार्यक्रम में विभिन्न समुदायों और वर्गों के सैकड़ों लोग शामिल हुए, जिन्होंने समता, समानता और न्याय के नारों के साथ अपने हक की मांग की। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से डॉ इंदु पांडेय, एकता, शालिनी, अनुज, श्रुति, कुसुम वर्मा, आर्शिया, ज्योति, शानू, आरोही, राधा, शिवांगी , रौशन, नंदलाल मास्टर, नीतू सिंह , गुरदीप, अबीर, श्रद्धा, रैनी, सक्षम, मीना, नैतिक, रागिनी, सुनीता, नीरज, अश्विनी, रवि, धन्नजय, शारदलु, शिवानी, सुतपा, रौशन, अर्पित, श्रद्धा राय, विश्वनाथ कुंवर, चिंतामणि सेठ, प्रेम, इत्यादि सैकड़ो लोग शामिल रहे।

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