जौनपुर के शाहगंज तहसील में प्राइवेट चपरासी ने डीएम को घूस बढ़ाने के लिए पत्र लिखा, लेटर सोशल मीडिया पर वायरल, जांच शुरू।
उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में भ्रष्टाचार का एक अनोखा मामला सामने आया है, जिसने प्रशासन को हिला कर रख दिया है। शाहगंज तहसील के एक प्राइवेट चपरासी द्वारा डीएम को लिखा गया एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें उसने अपने घूस के हिस्से को बढ़ाने की मांग की है। इस चौंकाने वाले पत्र के सामने आने के बाद प्रशासनिक हलकों में हलचल मच गई है और इसकी जांच शुरू कर दी गई है।
लेटर में क्या है?
वायरल हुए इस पत्र के मुताबिक, शाहगंज तहसील के नायब तहसीलदार शैलेंद्र कुमार सरोज के तहत काम करने वाले प्राइवेट चपरासी, राजाराम यादव ने डीएम को संबोधित करते हुए लिखा कि वह अधिवक्ताओं और जनता से घूस वसूलता है, लेकिन उसे केवल 500 रुपये प्रतिदिन ही मिलते हैं। पत्र में उसने डीएम से मांग की है कि उसके हिस्से को बढ़ाकर 1000 रुपये प्रतिदिन किया जाए, क्योंकि अन्य प्राइवेट चपरासियों को इतनी ही राशि मिलती है।
पत्र में लिखा है, “प्रार्थी राजाराम यादव, नायब तहसीलदार का प्राइवेट चपरासी हूं। घूस का पैसा हम ही अधिवक्ताओं और जनता से वसूलते हैं। मेरे नीचे अविनाश यादव और अझीत यादव काम करते हैं। हम झगड़ा और मारपीट कर पैसे वसूलते हैं, लेकिन मुझे केवल 500 रुपये दिए जाते हैं, जबकि सभी को 1000 रुपये मिलते हैं। कृपया मेरा हिस्सा बढ़वाया जाए।”
सोशल मीडिया पर लेटर हुआ वायरल
इस पत्र के वायरल होते ही यह सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया। लोगों ने तहसील कार्यालय के इस भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए पत्र को तेजी से साझा किया, जिससे प्रशासन की साख पर सवाल खड़े हो गए।
डीएम ने जांच के दिए आदेश
जौनपुर के डीएम रविन्द्र कुमार मादंड ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने एसडीएम शाहगंज को इस मामले की जांच सौंप दी है। डीएम ने कहा कि शुरुआती जांच में पता चला है कि तहसील कार्यालय में कोई प्राइवेट कर्मचारी नहीं है और राजाराम यादव नाम का कोई व्यक्ति वहां कार्यरत नहीं है। डीएम ने यह भी कहा कि सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देशों के अनुसार सरकारी कार्यालयों में प्राइवेट कर्मचारियों की भर्ती पर रोक लगाई गई है।
प्रशासन की साख पर सवाल
वायरल हुए इस पत्र ने तहसील कार्यालय में भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है। अब इस मामले में प्रशासनिक कार्रवाई की जा रही है और नायब तहसीलदार से रिपोर्ट मांगी गई है।
यह मामला प्रशासनिक कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा करता है कि सरकारी दफ्तरों में किस तरह से अवैध रूप से प्राइवेट कर्मचारी काम कर रहे हैं और रिश्वत का कारोबार चल रहा है।
जांच के बाद क्या होगा?
फिलहाल, इस वायरल लेटर की जांच हो रही है। प्रशासन की तरफ से इस मामले पर सख्त कार्रवाई करने का दावा किया जा रहा है। अब यह देखना होगा कि जांच के बाद क्या तथ्य सामने आते हैं और इस भ्रष्टाचार के खेल में और कौन-कौन शामिल है।
जौनपुर के इस मामले ने दिखा दिया है कि किस तरह से भ्रष्टाचार सरकारी कार्यालयों में जड़ें जमाए हुए है। वायरल लेटर ने न केवल एक कर्मचारी की घूस की शिकायत को उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि प्रशासनिक तंत्र में किस हद तक भ्रष्टाचार फैला हुआ है। अब यह देखना होगा कि जांच के बाद प्रशासन इस मामले को कैसे निपटाता है और दोषियों के खिलाफ क्या कदम उठाए जाते हैं।
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