डिप्टी डायरेक्टर की डूबने से मौत: 10 हजार की डील और गोताखोरों की शर्तें, जान बचाई जा सकती थी!




कानपुर में डिप्टी डायरेक्टर गंगा नदी में डूबे। गोताखोरों ने 10 हजार रुपये मांगे, लेकिन बचाव कार्य में देरी से उनकी जान नहीं बची।

कानपुर: डिप्टी डायरेक्टर की दर्दनाक मौत, गोताखोरों की 10 हजार की डील ने छीनी जिंदगी

कानपुर जिले के नानामऊ गंगा घाट पर शनिवार सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना हुई, जब स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर आदित्य वर्धन सिंह गंगा नदी में डूब गए। आदित्य, जो अपने दोस्तों के साथ सुबह का अर्घ्य देने पहुंचे थे, गंगा की लहरों में फंसकर बह गए। तीन दिन से चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन अभी तक नाकाम साबित हुआ है।

आदित्य वर्धन सिंह का परिवार बेहद समृद्ध है। उनकी पत्नी महाराष्ट्र में जज हैं, उनके चचेरे भाई एक IAS अधिकारी हैं, और उनके पिता रमेशचंद्र, सिंचाई विभाग से उच्च पद पर रिटायर हुए हैं। इतने प्रतिष्ठित परिवार का एक सदस्य गंगा की लहरों में कैसे खो गया, यह सवाल हर किसी के मन में उठ रहा है।

घटना के समय, आदित्य वर्धन सिंह गहरे पानी में जाकर फोटो क्लिक कराना चाहते थे। वह एक अच्छे तैराक थे, लेकिन जैसे ही उन्होंने सेफ्टी निशान पार किया, गंगा की तेज लहरों ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया। गोताखोरों से तुरंत मदद की गुहार लगाई गई, लेकिन हैरानी की बात यह है कि गोताखोरों ने पहले 10 हजार रुपये कैश की डिमांड की। दोस्तों के पास कैश न होने पर, गोताखोरों ने ऑनलाइन पेमेंट की शर्त रख दी। जब तक पैसे ट्रांसफर हुए, तब तक बहुत देर हो चुकी थी और डिप्टी डायरेक्टर का पता नहीं चला।

गोताखोरों के इस रवैये ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या समय पर कार्रवाई होती, तो क्या आदित्य की जान बचाई जा सकती थी? पुलिस ने कहा है कि गोताखोरों ने स्टीमर में फ्यूल डलवाने के लिए पैसे मांगे थे, और इस मामले की जांच की जाएगी।

आदित्य वर्धन सिंह का परिवार इस घटना से सदमे में है। उनका कहना है कि अगर समय रहते जरूरी कदम उठाए जाते, तो शायद आदित्य आज जिंदा होते। तीन दिन बाद भी उनके शव का कोई पता नहीं चल पाया है, और प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

इस घटना ने यह भी दिखाया कि जान बचाने के नाम पर कैसे लोगों की मजबूरी का फायदा उठाया जा सकता है। गंगा की पवित्र लहरों में एक प्रतिष्ठित परिवार का चिराग बुझ गया, और अब परिवार के लिए न्याय की मांग की जा रही है। 

यह दुखद घटना सिर्फ आदित्य वर्धन सिंह के परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक बड़ी चेतावनी है कि कैसे लालच और लापरवाही की वजह से कीमती जानें जा सकती हैं। 

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