विश्व मीडिया, आर.के. सोनी, वरिष्ठ पत्रकार, छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ पुलिस महानिदेशक के निर्देशानुसार, दिनांक 05-09-2024 को "Training for Child Welfare Police Officers on the JJ Act and POCSO Act" के संबंध में नया सर्किट हाउस, सिविल लाइन्स रायपुर में एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में पुलिस महानिरीक्षक रायपुर क्षेत्र, श्री अमरेश मिश्रा के मार्गदर्शन और पुलिस उप-महानिरीक्षक, श्रीमती मिलना कुर्रे, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, डॉ. संतोष कुमार सिंह, एआईजी मेघा टेम्बुलकर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री कीर्तन राठौर, ग्रामीण रायपुर की उपस्थिति में आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम का नेतृत्व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक IUCAW रायपुर, श्रीमती ममता देवांगन और उप-पुलिस अधीक्षक IUCAW रायपुर, सुश्री ललिता मेहर ने किया।
इस प्रशिक्षण में रायपुर, दुर्ग और राजनांदगांव के विशेष किशोर पुलिस इकाई और थानों में पदस्थ बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों को किशोर न्याय अधिनियम 2015, आदर्श अधिनियम 2016 और लैंगिक अपराधों से संरक्षण अधिनियम 2012 के प्रावधानों पर जानकारी दी गई। बाल कल्याण अधिकारियों को बच्चों से संबंधित अपराधों के प्रति जागरूकता, संवेदनशीलता और बाल हितैषी वातावरण बनाने हेतु प्रशिक्षित किया गया। इस कार्यक्रम में रायपुर, दुर्ग और राजनांदगांव रेंज के 13 एसजेपीयू और 194 बाल कल्याण पुलिस अधिकारी, महिला सुरक्षा टीम और IUCAW रायपुर के स्टाफ उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम में यूनिसेफ से चेतना देसाई (बाल संरक्षण विशेषज्ञ), गीतांजलि (स्टेट कंसलटेंट यूनिसेफ), कॉउंसिल टू सिक्योर जस्टिस से निमिषा श्रीवास्तव (निदेशक), और उर्वशी तिलक (निदेशक, रेस्टोरेटिव जस्टिस और प्रैक्टिस) ने प्रशिक्षक के रूप में भाग लिया।
प्रशिक्षण के प्रमुख बिंदु:
1. बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों को जेजे नियम 8 के अनुसार कार्यवाही करने और जघन्य अपराधों में ही प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए गए। अन्य मामलों में रोजनामचा/डीडी एंट्री कर बोर्ड को प्रस्तुत करने का सुझाव दिया गया।
2. सामान्य और गंभीर अपराधों में प्रारूप 2 भरकर बच्चे को परिजनों/अभिभावकों को सुपुर्द करने का निर्देश दिया गया।
3. रात्रिकालीन समय में बच्चे को न पकड़ने, और यदि आवश्यक हो, तो उसे संप्रेक्षण गृह में रखने की सलाह दी गई।
4. अज्ञात व्यक्ति से संबंधित मामलों में, बच्चा मिलने पर अपराध का स्वरूप तैयार कर बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत करने की आवश्यकता बताई गई।
5. किशोर न्याय अधिनियम की धारा 94 के अनुसार, बच्चों की उम्र संबंधी जांच के लिए निर्देशित किया गया।
6. भारतीय दंड संहिता की धारा और पोक्सो की धारा के तहत अपराधों की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी गई, विशेषकर जिनमें 7 वर्ष से कम की सजा का प्रावधान हो।
7. नशा सेवन करने वाली पीड़िताओं के मामलों में बाल कल्याण समिति के माध्यम से पुनर्वास कराने का निर्देश दिया गया।
8. यौन शोषण के मामलों में तत्काल प्राथमिकी दर्ज कर पीड़िता के सर्वोत्तम हित में कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए।
9. देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों के बारे में जानकारी दी गई।
10. जिले में कार्यरत विभिन्न स्टेकहोल्डर्स, जैसे जिला बाल संरक्षण अधिकारी, बाल कल्याण समिति, किशोर न्याय बोर्ड और विशेष किशोर पुलिस इकाई के सहयोग के बारे में बताया गया।
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