37000 फीट पर गोते खाता इंडिगो का विमान: मौत से मुठभेड़ के बाद बची यात्रियों की जान, जानिए कैसे टला हादसा





37000 फीट की ऊंचाई पर इंडिगो फ्लाइट एयर टर्बुलेंस का शिकार हुई। पायलट की सूझबूझ ने बड़ा हादसा टालते हुए सुरक्षित लैंडिंग कराई।

अमृतसर से लखनऊ जा रही इंडिगो फ्लाइट 6E 6165 में मचा हड़कंप

सोमवार को अमृतसर से लखनऊ जा रही इंडिगो फ्लाइट 6E 6165 में अचानक एयर टर्बुलेंस के कारण अफरातफरी मच गई। 37 हजार फीट की ऊंचाई पर विमान ने तीन बार गोता लगाया, जिससे यात्रियों के दिलों में मौत का खौफ बैठ गया। लगेज डोर खुल गए और सामान हवा में लटकने लगा। यात्रियों में चीख-पुकार मच गई और क्रू मेंबर्स उन्हें शांत कराने की कोशिश करते रहे। पायलट की सूझबूझ और तेज़ निर्णय ने विमान को बड़ी दुर्घटना से बचाया, जिसके बाद सुरक्षित लैंडिंग कराई गई। आइए जानें क्या हुआ उस विमान में और कैसे बची सैकड़ों जिंदगियां।

37 हजार फीट पर कैसे हुई घटना?

सोमवार को इंडिगो की फ्लाइट 6E 6165 ने अमृतसर एयरपोर्ट से उड़ान भरी और यह लखनऊ की ओर जा रही थी। जैसे ही विमान 37 हजार फीट की ऊंचाई पर पहुंचा, अचानक एयर टर्बुलेंस का शिकार हो गया। विमान ने एक के बाद एक तीन गोते खाए, जिससे यात्रियों में दहशत फैल गई। इस स्थिति ने विमान को काफी हिला दिया, और कई लोग इसे अपनी अंतिम यात्रा मानने लगे। हालांकि, पायलट ने तेजी से कंट्रोल लेते हुए विमान को स्थिर किया।

यात्रियों ने देखा मौत को सामने

विमान में सवार यात्रियों ने बताया कि जैसे ही विमान गोता खाने लगा, उनकी धड़कनें तेज़ हो गईं। लगेज बॉक्स के दरवाजे खुल गए और सामान नीचे लटकने लगा। रेलवे के रिटायर अधिकारी बृजेश कुमार श्रीवास्तव अपनी पत्नी साधना के साथ सफर कर रहे थे। उन्होंने कहा, "विमान अचानक नीचे आया और फिर ऊंचाई पर गया। यह तीन बार हुआ और इससे महिलाओं ने चीखना शुरू कर दिया, कुछ रोने भी लगीं।"

पायलट की सूझबूझ ने बचाई सैकड़ों जिंदगियां

हालांकि इस खतरनाक स्थिति के बावजूद, पायलट ने अपने अनुभव और सूझबूझ से विमान को भंवर से बाहर निकाला। जैसे ही विमान दोबारा स्थिर हुआ, यात्रियों ने थोड़ी राहत की सांस ली। हालांकि, जब तक विमान लैंड नहीं हुआ, यात्री पूरी तरह से तनाव में थे। इंडिगो फ्लाइट ने लखनऊ एयरपोर्ट पर 1:55 बजे सुरक्षित लैंडिंग की, जिससे सैकड़ों जिंदगियां बच गईं।

एयर टर्बुलेंस क्या है और कितना खतरनाक हो सकता है?

एयर टर्बुलेंस की स्थिति तब पैदा होती है जब हवा के झोंकों में बदलाव होता है, जिससे विमान अस्थिर हो जाता है। यह स्थिति प्लेन के लिए बेहद खतरनाक हो सकती है और कभी-कभी विमान हादसे में तब्दील हो जाती है। वैज्ञानिक शोध के अनुसार, हर साल 60 हजार से ज्यादा ऐसी घटनाएं होती हैं। इस साल 21 मई को सिंगापुर एयरलाइंस की एक फ्लाइट में एयर टर्बुलेंस के कारण एक व्यक्ति की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।

यात्रियों के आरोप: नहीं मिला एयरलाइंस का सहयोग

विमान के सुरक्षित लैंडिंग के बाद भी यात्रियों में नाराजगी बनी रही। उन्होंने आरोप लगाया कि फ्लाइट क्रू ने कोई विशेष ध्यान नहीं दिया और प्लेन लैंडिंग के कुछ ही समय बाद एयर होस्टेस वहां से चली गईं। यात्रियों का कहना है कि उन्हें सामान्य होने में वक्त लगा, लेकिन एयरलाइंस की ओर से कोई मदद नहीं मिली।

कैसे होता है एयर टर्बुलेंस का असर?

एयर टर्बुलेंस के दौरान प्लेन हवा के चक्रवात जैसी स्थिति में फंस जाता है, जिसमें प्लेन को कंट्रोल करना बेहद मुश्किल होता है। इस फ्लाइट में भी कुछ ऐसा ही हुआ। फ्लाइट में बैठे यात्री लगातार झटके महसूस कर रहे थे और उन्हें लग रहा था कि अब विमान क्रैश हो जाएगा। हालांकि, पायलट के कुशल प्रयास ने हादसे को टाल दिया और फ्लाइट को सुरक्षित लैंड कराया गया।

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