बाराबंकी में अपर्णा यादव की बैठक में अंधेरा, टॉर्च की रोशनी में हुई चर्चा; अधिकारी नदारद, वीडियो वायरल



बाराबंकी में अपर्णा यादव की बैठक अंधेरे में हुई, टॉर्च की रोशनी में चर्चा, कई अधिकारी गायब; वीडियो हुआ वायरल, जानें पूरी खबर।

बाराबंकी: अपर्णा यादव की बैठक अंधेरे में, अधिकारी नदारद, वीडियो वायरल

उत्तर प्रदेश महिला आयोग की उपाध्यक्ष अपर्णा यादव का दौरा बाराबंकी में कुछ अलग ही मोड़ ले गया जब उनकी महत्वपूर्ण बैठक अंधेरे में, मोबाइल टॉर्च की रोशनी में संपन्न हुई। यह घटना उस समय हुई जब उन्हें महिला कल्याण विभाग के अधिकारियों और अन्य जिला अधिकारियों के साथ महिला उत्पीड़न की शिकायतों और समस्याओं पर चर्चा करनी थी। अधिकारियों की गैरमौजूदगी और बैठक की तैयारियों में कमी ने इस बैठक को चर्चा का विषय बना दिया। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया, जिसने राज्य के प्रशासनिक तंत्र पर सवाल खड़े कर दिए।

बैठक की शुरुआत: अंधेरे में अपर्णा यादव की एंट्री

सुबह लगभग साढ़े 11 बजे, अपर्णा यादव बाराबंकी जिले के कलेक्ट्रेट सभागार में पहुंचीं, जहां उनकी मुलाकात जिला के उच्च अधिकारियों से होने वाली थी। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य जिले में महिला उत्पीड़न से जुड़ी शिकायतों और उनकी समस्याओं का हल निकालना था। लेकिन उनके वहां पहुंचते ही पता चला कि बैठक का स्थान बदलकर विकास भवन सभागार कर दिया गया है। जब वो वहां पहुंचीं, तो उन्हें उम्मीद थी कि सभी तैयारियां पूरी होंगी, लेकिन स्थिति विपरीत निकली।

बैठक के दौरान बिजली गुल: टॉर्च की रोशनी में चर्चा

जैसे ही अपर्णा यादव विकास भवन पहुंचीं, उन्हें वहां बिजली गुल होने का सामना करना पड़ा। कोई बैकअप प्लान नहीं होने के कारण उन्हें मोबाइल की टॉर्च की रोशनी में अधिकारियों के साथ बैठक करनी पड़ी। हालांकि, सीडीओ और सीएमओ जैसे कुछ बड़े अधिकारी वहां मौजूद थे, लेकिन कई सीनियर अधिकारी बैठक में अनुपस्थित थे और उनकी कुर्सियां खाली पड़ी रहीं। इस स्थिति ने बैठक को मात्र "खानापूर्ति" जैसा बना दिया, जिससे अपर्णा यादव और वहां उपस्थित लोगों में निराशा साफ नजर आ रही थी।

वीडियो वायरल: सोशल मीडिया पर हंगामा

इस अजीबोगरीब स्थिति का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जहां लोग इसे राज्य के प्रशासनिक तंत्र की लापरवाही का उदाहरण मान रहे हैं। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि अपर्णा यादव और कुछ अधिकारी अंधेरे में बैठे हैं, जहां मोबाइल की रोशनी में वे बैठक करने की कोशिश कर रहे हैं। इस वायरल वीडियो ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए यह दर्शाया कि महिला कल्याण जैसे गंभीर मुद्दों पर भी तैयारी में भारी कमी हो सकती है।

बैठक के बाद जेल निरीक्षण: बेहतर सुविधाओं की तारीफ

बैठक के बाद अपर्णा यादव ने जिले की जिला कारागार का निरीक्षण भी किया। उन्होंने जेल में महिलाओं के लिए उपलब्ध सुविधाओं का जायजा लिया और वहां की सफाई व्यवस्था की सराहना की। उन्होंने बताया कि जेल प्रशासन कैदियों की देखभाल में पूरी तरह से सक्षम है और उन्हें विभिन्न एक्टिविटीज़ के जरिए हुनर सिखाया जा रहा है, जो उनके पुनर्वास में मददगार साबित हो सकती हैं। जेल में कैदियों के लिए अलग-अलग एक्टिविटीज़ भी आयोजित की जाती हैं, जिससे वे जेल में रहते हुए नई स्किल्स सीख सकें।

अधिकारियों की लापरवाही: कोई जवाब नहीं

इस घटना से यह सवाल उठता है कि जब अपर्णा यादव के दौरे की पूर्व सूचना थी, तो अधिकारियों ने तैयारियों में इतनी लापरवाही क्यों बरती? कई बड़े अधिकारियों की गैरमौजूदगी और बैठक स्थल पर बिजली गुल होना इस बात की ओर इशारा करता है कि महिला कल्याण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी प्रशासनिक तैयारियां अपूर्ण हो सकती हैं। वहीं, अपर्णा यादव ने भी इस स्थिति पर अपनी नाराजगी व्यक्त की और इसे लेकर सख्त कदम उठाने के संकेत दिए हैं।




क्या संदेश दे रही है यह घटना?

यह घटना उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक तंत्र में मौजूद गंभीर खामियों को उजागर करती है। महिला उत्पीड़न जैसे गंभीर मुद्दों पर जहां हर कदम पर सटीकता और संवेदनशीलता की जरूरत होती है, वहां इस तरह की लापरवाही चौंकाने वाली है। हालांकि, इस घटना के बाद अधिकारियों पर सवाल उठ रहे हैं और अपर्णा यादव के वीडियो ने इस चर्चा को और गर्म कर दिया है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि इस घटना के बाद प्रशासनिक सुधारों की दिशा में क्या कदम उठाए जाते हैं और भविष्य में ऐसी लापरवाहियों को रोकने के लिए क्या व्यवस्थाएं की जाती हैं

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