रामलीला मंचन में भावुक भरत-राम मिलन: चित्रकूट में भाईचारे और त्याग का अद्वितीय दृश्य




जंघई की रामलीला में भरत का श्री राम से भावुक मिलन और खड़ाऊं लेकर अयोध्या लौटने का दृश्य। भरत की भक्ति और त्याग का यह अद्भुत प्रसंग देख श्रद्धालु भावविभोर।

इंद्रेश तिवारी की रिपोर्ट

जंघई में रामलीला का अद्भुत मंचन: भरत का श्री राम से भावुक मिलन और खड़ाऊं लेकर अयोध्या लौटने का दृश्य, श्रद्धालुओं के दिलों को छू गया। रामलीला के इस ऐतिहासिक प्रसंग ने भरत की भक्ति, त्याग और समर्पण की भावना को सजीव किया। वशिष्ठ मुनि की आज्ञा से श्री राम के खड़ाऊं को लेकर भरत ने अयोध्या में राजकाज का संचालन किया, जो उनके समर्पण का प्रतीक बना।


भरत-राम मिलन: भक्ति, त्याग और समर्पण की सच्ची मिसाल

जंघई के राम जानकी मंदिर प्रांगण में 18 दिवसीय रामलीला मंचन में भरत और श्री राम के बीच चित्रकूट में हुआ भावनापूर्ण मिलन दर्शकों को भावविभोर कर गया। इस दृश्य में भरत अयोध्या से चित्रकूट आकर अपने बड़े भाई श्री राम से मिलते हैं और उन्हें अयोध्या लौटने के लिए मनाते हैं। लेकिन श्री राम अपने वचन के प्रति अडिग रहते हैं। वशिष्ठ मुनि की आज्ञा से भरत श्री राम का खड़ाऊं लेकर वापस अयोध्या लौटते हैं और अवध के सिंहासन पर खड़ाऊं को रखकर राजकाज का संचालन करते हैं।

वशिष्ठ मुनि ने इस प्रसंग पर उपदेश दिया, "भरत का त्याग और राम के प्रति उनका समर्पण, भक्ति का अद्वितीय उदाहरण है। उनके इस चरित्र से हमें सच्चाई, निष्ठा और समर्पण की महत्ता समझनी चाहिए।"


भरत का राम से मिलन: त्याग और भक्ति का प्रतीक

भरत का श्री राम के प्रति निस्वार्थ प्रेम और त्याग ने इस प्रसंग को और भी प्रभावी बना दिया। भरत की विनम्रता और उनका समर्पण, रामायण की इस कथा में एक महत्वपूर्ण संदेश के रूप में सामने आता है। भरत द्वारा श्री राम का खड़ाऊं लेकर अयोध्या लौटने और राजकाज चलाने की यह घटना यह दर्शाती है कि सच्चे प्रेम और भक्ति के लिए त्याग की आवश्यकता होती है। भरत का यह त्याग हमें बताता है कि जीवन में विनम्रता और निस्वार्थ सेवा कितनी महत्वपूर्ण है।


रामलीला मंचन: कलाकारों ने जीवंत किया ऐतिहासिक प्रसंग

रामलीला मंचन में आदित्य ने श्री राम की भूमिका निभाई, जबकि ओम ने सीता का किरदार निभाया। लक्ष्मण की भूमिका में शैलेश दुबे और वशिष्ठ मुनि की भूमिका में अजय पांडेय ने अपने अभिनय से दर्शकों को प्रभावित किया। इसके साथ ही पुरवासी गण की भूमिकाओं में सभाजीत पाण्डे, शीतला प्रसाद पाठक, शारदा पाठक और अन्य कलाकारों ने अपने अभिनय से माहौल को जीवंत बना दिया।

रामलीला कमेटी के प्रमुख सदस्यों में संदीप तिवारी, संदीप पाण्डेय, राजू सिंह भाई साहब, किशन पाठक, और अन्य प्रमुख हस्तियां उपस्थित थीं, जिन्होंने इस आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


श्रद्धालुओं की भारी भीड़, भावविभोर हुए दर्शक

रामलीला के इस दृश्य को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। भरत-राम के इस भावनापूर्ण मिलन को देखकर हर कोई भावविभोर हो गया। दर्शकों ने भरत के त्याग और श्री राम के प्रति उनके प्रेम की इस सजीव प्रस्तुति को सराहा और इसे अपनी आस्था का अद्भुत अनुभव बताया।

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