वाराणसी के नाटी इमली भरत मिलाप मेले में भगदड़, पुलिस ने किया लाठीचार्ज, कई लोग घायल, चौकी इंचार्ज सस्पेंड।
वाराणसी विशेष संवाददाता
वाराणसी के ऐतिहासिक नाटी इमली मैदान में हर साल की तरह इस बार भी भरत मिलाप मेले का भव्य आयोजन किया गया। इस आयोजन को देखने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचे थे। लेकिन इस बार का मेला एक अप्रिय घटना का गवाह बना, जब अचानक मची भगदड़ और पुलिस के लाठीचार्ज ने माहौल को तनावपूर्ण कर दिया।
राम के पुष्पक विमान से मचा विवाद
भरत मिलाप मेले में श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता का पुष्पक विमान यादव बंधुओं के साथ पहुंचा। लेकिन जब पुलिस ने सिर्फ पुष्पक विमान को मैदान के अंदर जाने की अनुमति दी और यादव बंधुओं को रोक दिया, तब स्थिति बेकाबू हो गई। यादव बंधु इस रोक से नाखुश थे और पुलिस से बहस शुरू हो गई। देखते ही देखते दोनों पक्षों में झगड़ा बढ़ गया और बात इतनी बिगड़ गई कि मौके पर भगदड़ मच गई।
भगदड़ में फंसे श्रद्धालु
भीड़ के बीच धक्का-मुक्की होने लगी और इसी दौरान कुछ लोग जमीन पर गिर पड़े। भगदड़ में फंसे कई लोग रथ के नीचे दब गए, जिससे स्थिति और खराब हो गई। भगदड़ में फंसे लोगों में से कुछ को गंभीर चोटें आईं, जिन्हें अस्पताल ले जाया गया। कई लोग अपने जूते-चप्पल छोड़कर भागते नजर आए।
पुलिस ने किया लाठीचार्ज
स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिससे कई श्रद्धालुओं में हड़कंप मच गया। पुलिस का यह कदम विवादित हो गया, क्योंकि लोग रामलीला जैसे धार्मिक आयोजन में इस तरह की हिंसा की उम्मीद नहीं कर रहे थे। पुलिस के इस कदम पर विपक्षी पार्टियों ने कड़ी आलोचना की।
चौकी इंचार्ज सस्पेंड
घटना के बाद पुलिस प्रशासन पर सवाल उठने लगे। पहले तो अधिकारियों ने लाठीचार्ज की घटना को नकारने की कोशिश की, लेकिन जब तस्वीरें और वीडियो सामने आए, तब पुलिस ने चौकी इंचार्ज अशोक कुमार सिंह को सस्पेंड कर दिया। पुलिस ने कहा कि भीड़ नियंत्रण के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा, लेकिन इस कदम की व्यापक आलोचना हो रही है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस घटना ने राजनीतिक पारा भी चढ़ा दिया। कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने पुलिस के लाठीचार्ज को "अत्यधिक और निंदनीय" बताया। उनका कहना है कि धार्मिक आयोजन में शामिल होने आए लोगों पर लाठीचार्ज करके पुलिस ने अत्याचार किया है। रामलीला, जो वाराणसी की 400 साल से अधिक पुरानी परंपरा है, उसमें इस तरह की हिंसा का कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
लाठीचार्ज के बाद मेले का माहौल
लाठीचार्ज और भगदड़ के बाद मेले का माहौल पूरी तरह से तनावपूर्ण हो गया। मेले में आए कई लोग बीच में ही वापस लौट गए, जबकि अन्य लोग इस घटना से आहत थे। प्रशासन की लापरवाही और पुलिस के रवैये ने इस धार्मिक आयोजन को कड़वाहट में बदल दिया।
प्रशासन का बचाव
इस घटना के बाद प्रशासन ने अपनी सफाई दी है। उनका कहना है कि भीड़ अनियंत्रित हो गई थी और बिना लाठीचार्ज किए हालात संभालना मुश्किल था। हालांकि, इस दावे को लेकर भी लोगों में नाराजगी है। कुछ लोगों का कहना है कि पुलिस ने स्थिति को सही से नहीं संभाला और अनावश्यक रूप से लाठीचार्ज किया।
अस्पताल में घायलों का इलाज
इस भगदड़ और लाठीचार्ज में घायल हुए कई लोगों का इलाज वाराणसी के अस्पतालों में चल रहा है। हालांकि, प्रशासन ने किसी की मृत्यु की पुष्टि नहीं की है, लेकिन कई लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है। घटना के बाद से वाराणसी के इस मशहूर मेले पर सवाल उठने लगे हैं और इस धार्मिक आयोजन की सुरक्षा पर बहस छिड़ गई है।
वाराणसी का भरत मिलाप मेला एक ऐतिहासिक और धार्मिक आयोजन है, जो हर साल हजारों श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचता है। लेकिन इस बार की घटना ने इस आयोजन की छवि को धूमिल कर दिया है। पुलिस के लाठीचार्ज और भगदड़ की यह घटना न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि धार्मिक आयोजनों की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करती है।
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