जौनपुर के बरईपार में ब्याज न चुकाने पर महिला से स्वर्णकार ने दुष्कर्म किया। कोर्ट ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया।
इंद्रेश तिवारी की रिपोर्ट
जौनपुर: बरईपार बाजार में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहाँ एक स्वर्णकार पर ब्याज न चुका पाने के कारण महिला से दुष्कर्म करने का आरोप लगा है। पीड़ित महिला का आरोप है कि स्वर्णकार और उसके भाई ने उसे दुकान के पीछे कमरे में ले जाकर जबरदस्ती दुष्कर्म किया। जब पुलिस ने शिकायत पर कार्रवाई नहीं की, तो पीड़िता ने न्यायालय की शरण ली, जिसके बाद कोर्ट ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश जारी किया।
स्वर्णकार ने ब्याज न चुकाने पर महिला को बनाया शिकार
बरईपार के जीरकपुर गांव निवासी पीड़ित महिला ने 35,000 रुपये ब्याज पर एक स्वर्णकार से लिए थे। महिला के पति की नौकरी छूट जाने के बाद ब्याज की अदायगी में देरी हो गई, जिसे लेकर स्वर्णकार ने महिला को अपनी दुकान पर बुलाया। इसके बाद उसने महिला को दुकान के पीछे बने कमरे में ले जाकर जबरदस्ती दुष्कर्म किया। इस दौरान स्वर्णकार का बड़ा भाई भी इस घिनौने कृत्य में शामिल था। उन्होंने पीड़िता को धमकाया कि अगर उसने किसी से इस बारे में बताया, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
लालच और धमकी का सहारा
दुष्कर्म के बाद आरोपियों ने महिला को 5 लाख रुपये और उसका घर बनवाने का लालच भी दिया, ताकि वह इस मामले को दबा दे। डरी सहमी महिला ने अपने पति को सारी बात बताई, जिसके बाद पति ने तेजी बाजार थाने में शिकायत की। थाने में कोई कार्रवाई नहीं होने पर महिला ने पुलिस अधीक्षक को भी सूचना दी, लेकिन फिर भी कोई कानूनी कदम नहीं उठाया गया।
कोर्ट की शरण में गई पीड़िता
पुलिस की निष्क्रियता के बाद पीड़िता ने सिविल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने 3 अक्टूबर को तेजी बाजार थाने को आदेश दिया कि वे 7 दिन के भीतर मुकदमा दर्ज कर कोर्ट को सूचित करें। हालांकि, 9 अक्टूबर तक भी कोई मुकदमा दर्ज नहीं हुआ था। इस पर थाना अध्यक्ष लक्ष्मण विक्रम सिंह ने कहा कि कोर्ट के आदेश की कॉपी प्राप्त हो चुकी है और जल्द ही मुकदमा दर्ज कर कोर्ट को सूचित कर दिया जाएगा। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है।
न्याय की प्रतीक्षा
इस घटना ने क्षेत्र में सनसनी फैला दी है, और लोग न्याय की उम्मीद में हैं। पीड़िता के साथ हुए इस अमानवीय कृत्य ने स्थानीय प्रशासन और कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि कोर्ट के आदेश के बाद आरोपियों के खिलाफ क्या कदम उठाए जाते हैं और पीड़िता को कब न्याय मिलेगा।
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