बच्चों के नाम पर साइबर ठगों की नई चाल: झूठे केस का डर दिखाकर पालकों से वसूली, रहें सावधान!



छत्तीसगढ़ में बढ़ते साइबर अपराध: पुलिस अधिकारी बनकर बच्चों के नाम पर लोगों को ठगा जा रहा है, पढ़ें पूरी खबर और जानें कैसे बचें।

विश्व मीडिया आरकेसोनी वरिष्ठ पत्रकार छत्तीसगढ

साइबर ठग बच्चों को झूठे केस में फंसाने का डर दिखाकर पालकों से कर रहे ठगी। जानें कैसे पहचानें असली और नकली कॉल और खुद को इस ठगी से बचाएं।

साइबर ठगों की नई चाल: बच्चों को फंसाने का झांसा देकर करते हैं ठगी

देशभर में साइबर ठग नए-नए तरीके आजमा रहे हैं, और हाल के दिनों में बच्चों को झूठे केस में फंसाने की धमकी देकर पालकों से ठगी करने के कई मामले सामने आए हैं। ठग खुद को पुलिस या कस्टम अधिकारी बताकर धमकी देते हैं और बच्चों को ड्रग्स या सेक्स रैकेट में फंसाने की बात कहकर पैसों की मांग करते हैं। पालक घबरा कर बिना सोचे-समझे पैसे ट्रांसफर कर देते हैं, और बाद में उन्हें पता चलता है कि वे ठगी का शिकार हो चुके हैं।

ठगी का तरीका: पुलिस अधिकारी बनकर धमकाते हैं ठग

साइबर ठगों का नया हथकंडा यह है कि वे वॉट्सऐप या फोन कॉल के जरिए खुद को पुलिस अधिकारी बताकर लोगों को डराते हैं। कॉल करने वाले कहते हैं कि आपके बेटे या बेटी को किसी केस में फंसा लिया गया है, और उसे बचाने के लिए तुरंत पैसे ट्रांसफर करने होंगे। ड्रग्स, मानव तस्करी, या सेक्स रैकेट जैसे मामलों में फंसाने की धमकी देकर माता-पिता को भयभीत किया जाता है। ठग दावा करते हैं कि केस से बचाने के लिए एक निश्चित रकम भेजनी होगी। जब तक पीड़ित को हकीकत समझ में आती है, तब तक ठग पैसे लेकर गायब हो जाते हैं।

बच्चों को हिरासत में लेने का डर दिखाकर करते हैं वसूली

इन साइबर ठगों की चाल में बच्चों को हिरासत में लेने का झांसा देकर पालकों से वसूली करना शामिल है। वे अभिभावकों को फोन कर बताते हैं कि उनके बच्चे किसी अवैध गतिविधि में शामिल पाए गए हैं और अब उन्हें छुड़ाने के लिए पैसे देने होंगे। इसके बदले वे तुरंत पैसों की मांग करते हैं, और अक्सर घबराए हुए माता-पिता इस ठगी का शिकार बन जाते हैं।

बचाव के तरीके: असली और नकली कॉल की पहचान कैसे करें?

1. ट्रू कॉलर और यूपीआई ऐप्स से करें पहचान:

अगर आपको पुलिस अधिकारी बनकर कोई कॉल आता है तो सबसे पहले ट्रू कॉलर या किसी अन्य पहचान सत्यापित करने वाले ऐप की मदद लें। इसके अलावा, आप गूगल पे, फोन पे, या पेटीएम जैसे यूपीआई ऐप्स पर जाकर उस नंबर को चेक कर सकते हैं। अगर वह नंबर किसी असली व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर्ड है, तो आपको उसकी पहचान मिल जाएगी। अगर नहीं, तो सावधान हो जाएं।

2. वॉट्सऐप से ठगी की पहचान करें:

ठग अक्सर वॉट्सऐप का इस्तेमाल करते हैं। अगर आपको वॉट्सऐप पर पुलिस अधिकारी या किसी और का फर्जी कॉल आता है, तो उसकी जांच के लिए नंबर और आईडी को ध्यान से चेक करें। अगर नंबर किसी सरकारी अधिकारी से जुड़ा नहीं है, तो तुरंत पुलिस को इसकी सूचना दें।

शिकायत कैसे और कहां दर्ज करें?

अगर आप ठगी के शिकार हो जाते हैं या आपको ऐसा कोई कॉल आता है, तो आपको तुरंत साइबर क्राइम पोर्टल पर शिकायत दर्ज करनी चाहिए। इसके लिए आप साइबर क्राइम पोर्टल पर जाकर अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। साथ ही साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर भी कॉल करके तुरंत सहायता ले सकते हैं। याद रखें, किसी भी तरह की लालच या धमकी भरी कॉल पर तुरंत सतर्क हो जाएं और पुलिस की मदद लें।

साइबर ठगी से कैसे बचें?

अज्ञात कॉल्स से सावधान रहें: कभी भी अनजान नंबर से आए किसी कॉल पर भरोसा न करें, खासकर जब वह धमकी या लालच से भरी हो।

पेमेंट की मांग होने पर सतर्क हों: अगर कोई पुलिस अधिकारी बनकर पैसों की मांग कर रहा है, तो पहले उसकी पहचान सत्यापित करें।

शिकायत दर्ज करें: अगर आपको कोई संदिग्ध कॉल या मैसेज मिलता है, तो इसे नजरअंदाज न करें। तुरंत पुलिस या साइबर क्राइम पोर्टल पर इसकी शिकायत करें।

धमकी भरी कॉल्स से न घबराएं: ऐसे कॉल्स का मकसद आपको घबराकर ठगना होता है, इसलिए शांत रहें और सही कदम उठाएं।

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