गायत्री ज्ञान मंदिर ने लखनऊ के एन्क्राइट कालेज में 423वां युगऋषि वाङ्मय स्थापित कर ज्ञान यज्ञ अभियान को नई ऊंचाई पर पहुंचाया।
गायत्री ज्ञान मंदिर ने रचा नया इतिहास: 423वां युगऋषि वाङ्मय की स्थापना
लखनऊ के इंदिरा नगर स्थित गायत्री ज्ञान मंदिर के विचार क्रांति ज्ञान यज्ञ अभियान के तहत एक महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ा। एन्क्राइट कालेज ऑफ फार्मेसी, मोहनलालगंज के केन्द्रीय पुस्तकालय में गायत्री परिवार के संस्थापक युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा रचित 79 खण्डों का 423वां वाङ्मय स्थापित किया गया। यह आयोजन न केवल ज्ञान दान की परंपरा को आगे बढ़ाने का प्रयास है, बल्कि समाज में शिक्षा और वैदिक ज्ञान को पुनः स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
पूर्वजों की स्मृति में अनोखा ज्ञान दान: उमानंद शर्मा
इस विशेष अवसर पर ज्ञान यज्ञ अभियान के मुख्य संयोजक उमानंद शर्मा ने कहा, "पूर्वजों की स्मृति में ज्ञान दान ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है।" इस विचारधारा को मूर्त रूप देते हुए श्री शिव प्रसाद सिंह ने अपनी जीवनसंगिनी स्वर्गीय निधि सिंह की स्मृति में यह साहित्य भेंट किया। यह भावपूर्ण योगदान केवल उनके निजी स्मरण का प्रतीक नहीं, बल्कि सम्पूर्ण समाज के लिए एक प्रेरणा स्रोत है।
सभी छात्र-छात्राओं को भेंट की अखण्ड ज्योति पत्रिका
कार्यक्रम के दौरान कालेज के छात्र-छात्राओं, संकाय सदस्यों, और फार्मेसी के वरिष्ठ अधिकारियों को गायत्री परिवार की अखण्ड ज्योति पत्रिका भेंट की गई। इस पहल का उद्देश्य विद्यार्थियों को आध्यात्मिक और वैदिक ज्ञान से जोड़ना है, जो उनके शैक्षिक और व्यक्तिगत विकास में सहायक होगा।
वाङ्मय की स्थापना: शिक्षण संस्थान में नई ऊर्जा का संचार
डॉ. सुनील कुमार जायसवाल, प्रधानाचार्य, ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि "ज्ञान का यह अनमोल खजाना हमारे विद्यार्थियों के लिए न केवल प्रेरणा का स्रोत बनेगा, बल्कि यह उनके व्यक्तित्व निर्माण में भी सहायक होगा।" संस्थान की वरिष्ठ सदस्या लता मौर्या ने सभी अतिथियों का धन्यवाद व्यक्त किया और इस पहल की सराहना की।
समारोह में मुख्य अतिथियों की मौजूदगी
इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में गायत्री परिवार के प्रमुख सदस्य उमानंद शर्मा के साथ-साथ सर्वश्री देवेन्द्र सिंह, श्री शिवप्रसाद सिंह, विजय, और संस्थान के चेयरमैन डॉ. कीर्ति कुमार, सी.ओ.ओ. डॉ. रितिका रोहतांगी अरोरा, सी.ई.ओ. श्री करन रोहतांगी, और एच.ओ.डी. श्रीमती अनुज्ञा गुप्ता भी उपस्थित रहे। उनकी उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी विशेष बना दिया।
ज्ञान यज्ञ अभियान: समाज में नई क्रांति की लहर
गायत्री ज्ञान मंदिर का यह 423वां युगऋषि वाङ्मय न केवल एक आयोजन है, बल्कि यह समाज में वैदिक ज्ञान और भारतीय संस्कृति को पुनः जागृत करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। ज्ञान यज्ञ अभियान के तहत स्थापित यह वाङ्मय आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य धरोहर साबित होगा। गायत्री परिवार के इस प्रयास ने यह साबित कर दिया कि शिक्षा और ज्ञान का दान ही समाज की सबसे बड़ी सेवा है।
युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य का अद्वितीय योगदान
गायत्री परिवार के संस्थापक युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य का जीवन और उनका साहित्य समाज के लिए एक अमूल्य धरोहर है। उनके द्वारा रचित 79 खण्डों का यह वाङ्मय भारतीय संस्कृति, धर्म, और अध्यात्म के मूल्यों को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का माध्यम है। उनकी लेखनी में समाज के हर वर्ग के लिए एक दिशा है, एक विचार है, जो मानवता को जागृत करने की प्रेरणा देता है।
ज्ञान दान: समाज की नई दिशा
उमानंद शर्मा ने अपने संबोधन में कहा, "पूर्वजों की स्मृति में दिया गया ज्ञान दान ही उनकी सच्ची श्रद्धांजलि है।" यह संदेश समाज के हर व्यक्ति को प्रेरित करता है कि हम अपने पूर्वजों की स्मृति में जो भी योगदान दें, वह शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में हो, जिससे आने वाली पीढ़ियां लाभान्वित हो सकें।
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