गायत्री ज्ञान मंदिर ने 424वाँ युगऋषि वाङ्मय की स्थापना की—ज्ञानदान के युग धर्म पर जोर



लखनऊ में गायत्री ज्ञान मंदिर द्वारा 424वाँ युगऋषि वाङ्मय की स्थापना। ज्ञानदान को बताया युग धर्म—छात्रों को मिली अखण्ड ज्योति पत्रिका।

गायत्री ज्ञान मंदिर इंदिरा नगर, लखनऊ द्वारा ज्ञान यज्ञ अभियान के अंतर्गत 14 अक्टूबर 2024 को एक ऐतिहासिक और महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन एन्क्राइट इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, बिजनौर लखनऊ के केन्द्रीय पुस्तकालय में किया गया, जहाँ युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा रचित 79 खंडों का 424वाँ वाङ्मय स्थापित किया गया। इस महत्वपूर्ण अवसर पर संस्थान के छात्र-छात्राओं और संकाय के सदस्यों को प्रेरणादायक साहित्य भेंट किया गया।

युगऋषि वाङ्मय: एक अनमोल धरोहर

गायत्री परिवार की सक्रीय कार्यकत्री श्रीमती मुन्नी देवी ने अपने दिवंगत जीवनसाथी स्व. राज वल्लभ दास गुप्ता की स्मृति में इस साहित्य को भेंट किया। गायत्री परिवार के संस्थापक युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा रचित इन 79 खण्डों में जीवन के विभिन्न पहलुओं पर आधारित मूल्यवान ज्ञान संचित है। यह साहित्य न केवल विद्यार्थियों के लिए बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए आदर्श और प्रेरणादायक है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत सभी छात्र-छात्राओं और संस्थान के अन्य कर्मचारियों को अखण्ड ज्योति पत्रिका भी प्रदान की गई, जो कि आध्यात्मिक और सामाजिक विकास का मार्गदर्शन करती है।




‘‘वर्तमान समय में ज्ञान दान युग धर्म है’’: उमानंद शर्मा

इस अवसर पर वाङ्मय स्थापना अभियान के मुख्य संयोजक उमानंद शर्मा ने कहा, "वर्तमान समय में ज्ञानदान युग धर्म है। आज के दौर में सही ज्ञान और दिशा प्रदान करना हमारी प्रमुख जिम्मेदारी है।" उन्होंने कहा कि ऐसे साहित्य की स्थापना से आने वाली पीढ़ी को नैतिकता और जीवन मूल्य की गहराइयों से परिचय मिलेगा। ज्ञान का प्रसार समाज की उन्नति का मूल है और इस प्रकार के प्रयास समाज के हर कोने तक सकारात्मक संदेश पहुँचाते हैं।

प्रमुख अतिथियों की उपस्थिति

इस कार्यक्रम में कई महत्वपूर्ण व्यक्तित्वों ने हिस्सा लिया, जिनमें संस्थान के चेयरमैन डॉ. कीर्ति कुमार, सी.ओ.ओ. डॉ. रितिका रोहतांगी अरोरा, सी.ई.ओ. श्री करन रोहतांगी, श्री अर्जुन रोहतांगी, श्री सुनील रोहतांगी, श्रीमती निविदिता रोहतांगी प्रमुख रूप से शामिल थे। संस्थान के प्रधानाचार्य प्रो. अरूण ने धन्यवाद ज्ञापन दिया और इस प्रकार के कार्यक्रमों के महत्व पर प्रकाश डाला।




ज्ञान का प्रसार: शिक्षा से समाज सुधार की दिशा

गायत्री परिवार का यह प्रयास केवल एक पुस्तकालय में पुस्तकों की स्थापना तक सीमित नहीं है। यह एक व्यापक ज्ञान आंदोलन का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य समाज के हर वर्ग तक सही शिक्षा और आदर्शों को पहुँचाना है। इस प्रकार के कार्यक्रम छात्रों को न केवल शैक्षिक क्षेत्र में बल्कि व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में भी उच्च मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा देते हैं।

वाङ्मय स्थापना का यह 424वाँ कार्यक्रम भविष्य में कई और संस्थानों में भी आयोजित किया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक लोग इस ज्ञान से लाभान्वित हो सकें। इस प्रकार के साहित्य का नियमित अध्ययन और अनुपालन समाज को न केवल आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनाएगा, बल्कि समाज सुधार की दिशा में भी योगदान करेगा।

अखण्ड ज्योति पत्रिका: छात्रों के लिए एक प्रेरणादायक तोहफा

इस अवसर पर विशेष रूप से गायत्री परिवार द्वारा प्रकाशित अखण्ड ज्योति पत्रिका को सभी उपस्थित छात्रों को भेंट किया गया। यह पत्रिका जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन और प्रेरणा का स्रोत है। इसके माध्यम से विद्यार्थी न केवल अकादमिक क्षेत्र में बल्कि जीवन के हर पहलू में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इस पत्रिका का अध्ययन छात्रों को जीवन के संघर्षों से जूझने की क्षमता और सफलता की राह पर अग्रसर होने की प्रेरणा देता है।

भविष्य के लिए उम्मीदें

गायत्री ज्ञान मंदिर का यह अभियान आने वाले समय में भी लगातार जारी रहेगा। संस्था का उद्देश्य है कि अधिक से अधिक शैक्षिक संस्थानों में वाङ्मय की स्थापना की जाए, ताकि भारतीय संस्कृति और विचारधारा को पुनर्जीवित किया जा सके। इस प्रकार के कार्यक्रमों से छात्रों में नैतिकता, आदर्श और समाज सेवा की भावना विकसित होती है, जो आने वाले समय में एक सशक्त और विकसित समाज की नींव रखने में मदद करेगी।

इस तरह, गायत्री ज्ञान मंदिर द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो न केवल संस्थान के लिए बल्कि समूचे समाज के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करता है। युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा रचित वाङ्मय का प्रसार और उसका अनुकरण समाज को एक नई दिशा देने का प्रयास है।

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