गाजियाबाद में जीएसटी ऑफिस में व्यापारी ने उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए कपड़े उतारे, वीडियो वायरल, पुलिस को शिकायत नहीं मिली।
गाजियाबाद के मोहन नगर स्थित जीएसटी ऑफिस में एक ऐसी घटना घटी जिसने पूरे सोशल मीडिया को हिला कर रख दिया। एक लोहा व्यापारी ने जीएसटी अधिकारियों पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए ऑफिस के अंदर अपने कपड़े उतार दिए और ध्यान मुद्रा में बैठ गया। इस घटना का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें व्यापारी अक्षय जैन अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए अधिकारियों पर कई गंभीर आरोप लगा रहा है।
व्यापारी ने लगाया उत्पीड़न का आरोप
वायरल वीडियो में व्यापारी अक्षय जैन जीएसटी अधिकारियों पर उत्पीड़न का आरोप लगाते नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि अधिकारियों ने उन्हें बेवजह परेशान किया और उनसे 85 लाख का टारगेट पूरा करने की मांग की। व्यापारी का कहना था कि जीएसटी अधिकारियों द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह गलत हैं और उन्होंने किसी भी तरह की टैक्स चोरी नहीं की है।
घटना कैसे हुई?
घटना गाजियाबाद जिले के मोहन नगर पर स्थित जीएसटी ऑफिस की है, जिसे पहले सेल्स टैक्स चेक पोस्ट के नाम से जाना जाता था। अक्षय जैन नाम का व्यापारी, जो लोहे के व्यापार से जुड़ा है, एक मामले को लेकर जीएसटी ऑफिस पहुंचा था। उसकी मेरठ से आ रही एक गाड़ी को जीएसटी अधिकारियों ने रोक लिया और उस पर टैक्स चोरी का आरोप लगाया गया।
कपड़े उतारकर धरने पर बैठ गया व्यापारी
जब अक्षय जैन को लगा कि अधिकारियों द्वारा लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं और उन्हें बिना किसी ठोस आधार के परेशान किया जा रहा है, तो उन्होंने अनोखे ढंग से विरोध करने का फैसला किया। जीएसटी ऑफिस के अंदर ही उन्होंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और ध्यान मुद्रा में बैठ गए।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
इस पूरी घटना का वीडियो जीएसटी ऑफिस में मौजूद किसी व्यक्ति ने बना लिया और सोशल मीडिया पर डाल दिया। कुछ ही घंटों में यह वीडियो वायरल हो गया, जिसमें अक्षय जैन अपने कपड़े उतारकर अधिकारियों पर आरोप लगाते नजर आ रहे हैं। वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि वह अधिकारियों से कह रहे हैं कि क्या जीएसटी का सारा टारगेट उन्हीं से पूरा करवाने की मंशा है।
अधिकारियों की प्रतिक्रिया और व्यापारी संघ का हस्तक्षेप
घटना के बाद जीएसटी ऑफिस के अधिकारियों की तरफ से कोई लिखित शिकायत पुलिस को नहीं दी गई है। पुलिस का कहना है कि इस मामले में अभी तक दोनों पक्षों की ओर से कोई औपचारिक शिकायत नहीं आई है। हालांकि, लोहा व्यापारी संघ के अध्यक्ष ने मामले का संज्ञान लेते हुए मौके पर पहुंचकर दोनों पक्षों के बीच सुलह करवा दी। इसके बाद व्यापारी की गाड़ी को भी चेक पोस्ट से छोड़ दिया गया।
पुलिस का बयान और मामले का समाधान
घटना के संबंध में गाजियाबाद पुलिस से पूछताछ की गई, तो उन्होंने बताया कि उन्हें इस मामले में किसी भी पक्ष से कोई लिखित शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। हालांकि, सोशल मीडिया पर वीडियो के वायरल होने के बाद अगर कोई शिकायत आती है, तो जांच की जाएगी। फिलहाल व्यापारी संघ के हस्तक्षेप के बाद दोनों पक्षों ने आपस में मामला सुलझा लिया है।
व्यापारी के विरोध के पीछे की वजह
व्यापारी अक्षय जैन का कहना है कि वह जीएसटी अधिकारियों द्वारा बार-बार किए जा रहे उत्पीड़न से तंग आ चुके थे। उन्होंने अधिकारियों पर आरोप लगाया कि उन्हें 85 लाख रुपये का टारगेट पूरा करने के लिए कहा जा रहा था, जिसे वह अव्यावहारिक मानते हैं। इस उत्पीड़न से तंग आकर ही उन्होंने यह अनोखा विरोध करने का फैसला किया और कपड़े उतारकर अधिकारियों के सामने धरने पर बैठ गए।
वायरल वीडियो ने बढ़ाई चिंता
इस घटना ने व्यापारिक समुदाय में चिंता की लहर पैदा कर दी है। व्यापारियों का कहना है कि जीएसटी अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं और यह घटना उसकी एक बानगी है। व्यापारियों ने सरकार से मांग की है कि ऐसे मामलों में अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए और व्यापारी समुदाय के साथ अन्याय न हो।
सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर लोगों की मिश्रित प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कुछ लोग व्यापारी के इस कदम को समर्थन दे रहे हैं और इसे अधिकारियों के खिलाफ एक साहसी विरोध मान रहे हैं। वहीं, कुछ लोग इसे अनुचित बताते हुए कह रहे हैं कि ऐसे मामलों को कानूनी रूप से निपटाया जाना चाहिए न कि सार्वजनिक तौर पर इस तरह से विरोध करना चाहिए।
जीएसटी ऑफिस में हुई इस घटना ने दिया नया मोड़
जीएसटी से जुड़े विवाद पहले भी सामने आते रहे हैं, लेकिन यह घटना उस समय सुर्खियों में आ गई जब व्यापारी ने अपने कपड़े उतारकर अधिकारियों के सामने विरोध जताया। यह घटना दिखाती है कि व्यापारियों के बीच जीएसटी अधिकारियों के रवैये को लेकर कितनी नाराजगी है।
गाजियाबाद के जीएसटी ऑफिस में व्यापारी द्वारा कपड़े उतारकर ध्यान मुद्रा में बैठने की यह घटना व्यापारिक समुदाय और अधिकारियों के बीच तनाव को उजागर करती है। हालांकि, फिलहाल इस मामले में कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई है, लेकिन इस घटना ने व्यापारी समुदाय को अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने का मौका दिया है।
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