गुरुग्राम का सबसे पुराना दुर्गा पूजा उत्सव: "नोबो दुर्गा" के साथ 43 सालों की गौरवशाली परंपरा




गुरुग्राम में 43 सालों से सबसे पुरानी दुर्गा पूजा, "नोबो दुर्गा" की भव्य थीम के साथ मनाई जा रही है। इस वर्ष का उत्सव और भी खास है, जिसमें स्त्री सशक्तिकरण को प्रमुखता दी गई है।

भावेश की रिपोर्ट

गुरुग्राम के इतिहास में सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित दुर्गा पूजा इस वर्ष अपने 43वें वर्ष में प्रवेश कर रही है। यह पूजा केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर बन चुकी है। इस साल की थीम "नोबो दुर्गा" (नव दुर्गा) है, जो माँ दुर्गा के नौ रूपों को प्रस्तुत करती है। प्रत्येक रूप नारी शक्ति, करुणा और सुरक्षा का प्रतीक है। इस थीम ने पूरे आयोजन को एक विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक अनुभव बना दिया है। नव दुर्गा के दर्शन इस वर्ष गुरुग्राम के सेक्टर 9A स्तिथ कम्युनिटी सेन्टर में हुए। जहां हज़ारों की संख्या में भक्त दूर-दूर से माँ दुर्गा के भव्य दर्शन करने पहुंचे।




"नोबो दुर्गा" थीम का अद्वितीय आकर्षण

इस वर्ष की पूजा में "नोबो दुर्गा" थीम को केंद्र में रखा गया है, जिसमें माँ दुर्गा के नौ रूपों की भव्य प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। प्रत्येक रूप की अपनी अलग महिमा और संदेश है, जैसे शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री। ये रूप न केवल शक्ति और साहस के प्रतीक हैं, बल्कि समाज को करुणा, धैर्य और मानवता का संदेश भी देते हैं। यह दुर्गा पूजा गुरुग्राम के सेक्टर 4, 5, 7, 9, 9A, 10, ज्योति पार्क, कृष्णा कॉलोनी के सभी बंगाली मिलकर इसका आयोजन करते है। इसके साथ ही इस आयोजन में तीन दिन सप्तमी, अष्टमी व नवमी में करीब 400 से 500 लोगों का भव्य लंगर भी लगता है।

भोग वितरण में समर्पण और सेवा

गुरुग्राम की इस पूजा की एक विशेषता यह है कि यहाँ हर दिन भोग का आयोजन होता है, जो पूरी तरह से नि:शुल्क है और सभी के लिए खुला है, चाहे उनकी जाति, धर्म या पंथ कोई भी हो। इस सेवा का उद्देश्य समाज में एकता और समर्पण की भावना को मजबूत करना है। भोग में सादगी और स्वाद का अद्भुत मिश्रण होता है, जिसमें प्रसाद के रूप में विभिन्न पारंपरिक व्यंजन शामिल होते हैं।



नारी सशक्तिकरण का प्रतीक

इस वर्ष की पूजा की एक और खासियत यह है कि पूरे आयोजन की देखरेख और प्रबंधन एक टीम द्वारा की जा रही है, जो पूरी तरह से महिलाओं से सुसज्जित है। यह कदम नारी सशक्तिकरण और नेतृत्व का एक शानदार उदाहरण है, जो समाज में महिलाओं की भूमिका को उजागर करता है। पूजा के सभी महत्वपूर्ण निर्णय, कार्यक्रमों की योजना और आयोजन से लेकर व्यवस्थापन तक सब कुछ महिलाओं द्वारा ही किया जा रहा है।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों का उत्साह

पूजा के दौरान प्रतिदिन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, जो उत्सव में और भी जोश और ऊर्जा भर देते हैं। बच्चों से लेकर वयस्कों तक, सभी अपने प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं। नृत्य, गायन, नाटक और वाद्ययंत्र प्रदर्शन जैसे कार्यक्रम लोगों के बीच सांस्कृतिक जिज्ञासा और उत्साह को बढ़ाते हैं।

सभी के लिए खुला आमंत्रण

गुरुग्राम की यह दुर्गा पूजा समर्पण, आस्था और सामाजिक सौहार्द्र का प्रतीक है। यहाँ सभी को खुले दिल से स्वागत किया जाता है, चाहे वह किसी भी समुदाय, जाति या धर्म से हों। माँ दुर्गा के आशीर्वाद और इस सांस्कृतिक उत्सव में शामिल होने के लिए हम सभी को आमंत्रित करते हैं। यह पूजा हमें न केवल धार्मिकता की अनुभूति कराती है, बल्कि हमारे भीतर सामाजिक एकता और भाईचारे की भावना को भी प्रज्वलित करती है।

परंपरा और आधुनिकता का संगम

43 वर्षों से चली आ रही इस पूजा में परंपरा और आधुनिकता का अनूठा संगम देखने को मिलता है। जहाँ एक ओर पुरानी परंपराओं को सहेजा गया है, वहीं दूसरी ओर आधुनिक तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इस वर्ष के पंडाल में लाइट और साउंड के विशेष इफेक्ट्स का इस्तेमाल किया गया है, जिससे "नोबो दुर्गा" की महिमा और भी बढ़ गई है।

गुरुग्राम की यह पूजा एक विशेष अवसर है, जिसमें आस्था, भक्ति और समाज सेवा का मेल होता है। माँ दुर्गा की शक्ति और करुणा का अनुभव करने के लिए हम सभी को इस आयोजन में शामिल होने का निमंत्रण देते हैं।

इस उत्सव का उद्देश्य केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि समाज में भाईचारे और एकता का संदेश फैलाना है। माँ दुर्गा की कृपा से इस दुर्गा पूजा के आयोजन से सभी के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आए।

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