हरियाणा में कांग्रेस की हार से तीन दिग्गजों का करियर खतरे में: हुड्डा, सैलजा और सुरजेवाला का सियासी चैप्टर होगा क्लोज!

 

हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की हार से हुड्डा, सैलजा और सुरजेवाला के राजनीतिक करियर पर संकट, हाईकमान कर सकता है बड़ा फैसला।

हरियाणा चुनाव: कांग्रेस की हार और तीन बड़े नेताओं का सियासी भविष्य संकट में

चंडीगढ़, अक्टूबर 8: हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे कांग्रेस के लिए निराशाजनक रहे हैं। यह लगातार तीसरी बार है जब पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। इस हार ने हरियाणा कांग्रेस के तीन सबसे बड़े नेताओं भूपिंदर सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला के राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन तीनों नेताओं के सियासी करियर पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं और कहा जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान इनका "चैप्टर" बंद कर सकता है। आइए, समझते हैं कैसे इन दिग्गज नेताओं की राजनीति अब हाशिये पर आ गई है।

हुड्डा: 77 साल की उम्र में राजनीतिक जीवन का अंतिम अध्याय?

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा की उम्र अब 77 साल हो चुकी है। उन्होंने हाल ही में एक रैली में घोषणा की थी कि वे बीजेपी के खिलाफ अपनी अंतिम लड़ाई लड़ना चाहते हैं। हालांकि, विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार और उनके समर्थकों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। हुड्डा के प्रभाव वाले सोनीपत और पानीपत में कांग्रेस को करारी हार मिली।

इसके अलावा, हुड्डा द्वारा चयनित प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान भी अपनी होडल सीट से हार गए, जिससे पार्टी में हुड्डा की पकड़ कमजोर पड़ गई है। अब चर्चा है कि हुड्डा अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा को आगे बढ़ाएंगे। लेकिन सवाल यह है कि क्या कांग्रेस हाईकमान उन्हें इतना वक्त देगा या नहीं?

सैलजा का दबदबा भी खत्म?

कुमारी सैलजा, जो दलित राजनीति में अपनी मजबूत पकड़ के लिए जानी जाती हैं, इस चुनाव में पूरी तरह से फ्लॉप रही हैं। सैलजा ने चुनाव से पहले खुलकर हुड्डा गुट के खिलाफ मोर्चा खोला था, लेकिन इसका फायदा उन्हें नहीं मिला। उनके समर्थक अधिकांश सीटों पर चुनाव हार गए, जबकि जिन सीटों पर हुड्डा गुट का प्रभाव नहीं था, वहां कांग्रेस को जीत मिली।

अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या सैलजा को पार्टी में अब भी वही तरजीह मिलेगी, जो पहले मिलती थी? उनका हालिया प्रदर्शन पार्टी के भीतर उनके भविष्य पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

सुरजेवाला का हरियाणा से पत्ता साफ?

रणदीप सुरजेवाला, कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और कर्नाटक प्रभारी, हरियाणा की राजनीति से लगभग बाहर हो चुके हैं। हालांकि, उनके बेटे आदित्य सुरजेवाला कैथल से चुनाव जीतने में सफल रहे हैं, लेकिन खुद रणदीप हरियाणा की राजनीति में हाशिये पर चले गए हैं।

अब यह माना जा रहा है कि सुरजेवाला का राजनीतिक भविष्य राष्ट्रीय राजनीति में सीमित रहेगा और हरियाणा की जिम्मेदारी उनके बेटे को सौंप दी जाएगी। राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले सुरजेवाला का हरियाणा में अब पहले जैसा प्रभाव शायद ही लौट पाए।

उदयभान और कैप्टन अजय यादव का क्या होगा?

चौधरी उदयभान, जो हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे, अपनी होडल सीट से हार गए हैं। हुड्डा के समर्थन से उन्होंने यह पद हासिल किया था, लेकिन अब उनकी हार ने उनकी कुर्सी को खतरे में डाल दिया है।

दूसरी ओर, कैप्टन अजय यादव, जो कांग्रेस के ओबीसी सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, और उनके बेटे चिरंजीव राव भी रेवाड़ी से चुनाव हार चुके हैं। ऐसे में अब दोनों नेताओं का राजनीतिक भविष्य अनिश्चित नजर आ रहा है।

कांग्रेस का आंतरिक संकट और भविष्य

हरियाणा में कांग्रेस की लगातार हार ने पार्टी के आंतरिक संकट को उजागर कर दिया है। पार्टी में नेतृत्व की कमी और गुटबाजी का सीधा असर चुनावी नतीजों पर पड़ा है। ऐसे में पार्टी को न सिर्फ अपने पुराने नेताओं पर विचार करना होगा, बल्कि नई रणनीति और नेतृत्व के बारे में भी सोचना होगा।

हरियाणा में कांग्रेस के लिए अगला अध्याय बेहद मुश्किल होगा, और यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी अपने पुराने नेताओं के साथ कैसे पेश आती है।

हरियाणा में कांग्रेस की इस हार ने न सिर्फ पार्टी के प्रदर्शन पर सवाल उठाए हैं, बल्कि तीन बड़े नेताओं के राजनीतिक करियर को भी खतरे में डाल दिया है। हुड्डा, सैलजा और सुरजेवाला की राजनीति अब हाशिये पर नजर आ रही है, और पार्टी का अगला कदम इन नेताओं के भविष्य को निर्धारित करेगा।


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