IIT Kanpur PhD छात्रा प्रगति ने हॉस्टल में फांसी लगाकर आत्महत्या की। सुसाइड नोट में लिखा- किसी को मेरी मौत का जिम्मेदार न ठहराएं।
IIT Kanpur PhD छात्रा का सुसाइड: होनहार बेटी का दर्दनाक अंत, सुसाइड नोट में छलका दर्द
IIT Kanpur में एक और दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां PhD की पढ़ाई कर रही छात्रा प्रगति ने अपने हॉस्टल के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। प्रगति का शव गुरुवार सुबह उसके हॉस्टल के कमरे में पंखे से लटका मिला। उसके पास से मिले सुसाइड नोट ने सभी को हैरान कर दिया, जिसमें उसने किसी को भी अपनी मौत का जिम्मेदार न ठहराने की बात लिखी।
कौन थीं प्रगति?
प्रगति का परिवार उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के उरई से है। तीन भाइयों में अकेली बहन, प्रगति हमेशा से पढ़ाई में अव्वल रही थी। उसने दिल्ली के हंसराज कॉलेज से बीएससी और बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी से एमएससी की पढ़ाई पूरी की थी। फिलहाल वह IIT Kanpur से अर्थ साइंस में PhD कर रही थी और फाइनल ईयर में थी।
घटना की जानकारी
गुरुवार सुबह जब प्रगति का कमरा नहीं खुला, तो साथी छात्राओं ने इसकी जानकारी हॉस्टल स्टाफ को दी। दरवाजा तोड़ने पर प्रगति का शव पंखे से लटका हुआ मिला। सुसाइड नोट में प्रगति ने अपने दोस्तों का धन्यवाद किया और लिखा कि उसकी मौत के लिए किसी को जिम्मेदार न ठहराया जाए।
परिवार का दुख
प्रगति के परिवार में गहरा शोक व्याप्त है। उसके पिता गोविंद खारिया और भाइयों ने बताया कि वह बचपन से ही बहादुर और समझदार थी। उसने कभी भी अपने तनाव या परेशानियों के बारे में कुछ नहीं बताया। परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है।
IIT Kanpur में आत्महत्या के बढ़ते मामले
IIT जैसे संस्थानों में छात्रों पर पढ़ाई का भारी दबाव होता है। मानसिक तनाव और अकेलेपन के कारण कई छात्र आत्महत्या जैसा कदम उठाने पर मजबूर हो जाते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
पुलिस की जांच
पुलिस ने प्रगति के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और सुसाइड नोट की जांच कर रही है। पुलिस उपायुक्त ने बताया कि मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है और जल्द ही पूरी रिपोर्ट जारी की जाएगी।
प्रगति जैसी होनहार छात्रा की असमय मौत ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना एक बार फिर से यह सवाल उठाती है कि छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और तनाव पर पर्याप्त ध्यान क्यों नहीं दिया जाता। समाज और शैक्षणिक संस्थानों को मिलकर इस दिशा में काम करने की जरूरत है।
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