छत्तीसगढ़ के 'जल जगार महोत्सव' में भाजपा पर भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी का आरोप। कांग्रेस ने टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी और लोक कलाकारों की उपेक्षा का मुद्दा उठाया।
विश्व मीडिया आरकेसोनी वरिष्ठ पत्रकार छत्तीसगढ
धमतरी: छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में आयोजित 'जल जगार महोत्सव' अब विवादों में घिर चुका है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर महोत्सव के भाजपाईकरण और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि इस महोत्सव के नाम पर केवल भाजपा नेताओं और उनके करीबी लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए पूरी सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया गया। कांग्रेस ने इस आयोजन में छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों की उपेक्षा और बाहरी ठेकेदारों को काम देने पर भी कड़ी आपत्ति जताई है।
टेंडर प्रक्रिया से पहले ही कलाकार तय, भ्रष्टाचार का नया रूप
सुरेंद्र वर्मा ने आरोप लगाया कि 'जल जगार महोत्सव' के आयोजन में टेंडर प्रक्रिया से पहले ही कलाकारों के नाम तय कर लिए गए थे। भाजपा के एक विधायक को इस आयोजन का केंद्र बिंदु बनाकर अन्य छत्तीसगढ़िया सांस्कृतिक कलाकारों की उपेक्षा की गई। पोस्टर में पहले से ही भाजपा विधायक की तस्वीरों को जगह दी गई, जिससे स्पष्ट है कि यह महोत्सव भाजपा के भ्रष्टाचार और मुनाफाखोरी का नया उदाहरण है।
छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों जैसे पंडवानी, ददरिया, चंदैनी गोंदा और हरेली जैसे पारंपरिक कला विधाओं को नजरअंदाज करके भाजपा ने अपने करीबी कलाकारों को प्राथमिकता दी। वर्मा ने कहा कि यह प्रदेश के कलाकारों के साथ बड़ा धोखा है और छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर का अपमान।
बाहर की इवेंट कंपनियों को फायदा, स्थानीय कारोबारियों को परेशान किया
प्रदेश कांग्रेस ने आयोजन में बाहर की इवेंट कंपनियों को अनुचित रूप से काम देने पर भी सवाल उठाए। सुरेंद्र वर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ के वेंडरों और इवेंट कंपनियों को नजरअंदाज करके महाराष्ट्र और गुजरात की कंपनियों को ठेके दिए गए। यहां तक कि कार्यक्रम स्थल के डेकोरेशन से लेकर प्रदर्शनी लगाने तक का काम भी बाहर की कंपनियों को सौंप दिया गया, जबकि स्थानीय कारोबारियों को इन कार्यों से दूर रखा गया।
नवरात्रि के दौरान माता अंगारमोती के भक्तों को भी परेशान किया गया। स्थानीय कारोबारियों की गुमटियों को हटाकर उनकी रोजी-रोटी पर हमला किया गया। पार्किंग शुल्क के नाम पर भक्तों से जबरन वसूली की गई, जिससे भक्तों में नाराजगी फैल गई।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा, भाजपा का मुनाफाखोरी का खेल
सुरेंद्र वर्मा ने इस महोत्सव में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा को भी मुद्दा बनाया। उन्होंने कहा कि स्थानीय विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष और अन्य जनप्रतिनिधियों को इस आयोजन में नजरअंदाज कर दिया गया। भाजपा ने केवल अपने नेताओं और उनके करीबी लोगों को उपकृत करने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया।
मैराथन में भाग लेने के लिए भी शुल्क लिया गया, जो भाजपा की मुनाफाखोरी की नीति का सबसे बड़ा उदाहरण है। वर्मा ने कहा कि इससे पहले कभी इस तरह की वसूली नहीं की गई थी।
'जल जगार' का उद्देश्य: धन संग्रह और भाजपा नेताओं को फायदा
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि 'जल जगार महोत्सव' का असली उद्देश्य केवल भाजपा नेताओं और उनके करीबी लोगों को फायदा पहुंचाना था। इस आयोजन में हर संस्था से जबरिया वसूली की गई, यहां तक कि अस्पतालों और राइसमिलरों से भी धन इकट्ठा किया गया। करोड़ों रुपये धमतरी जिले से वसूले गए, लेकिन स्थानीय लोगों को कोई काम नहीं दिया गया। यह महोत्सव भाजपा के अवैध धन संग्रह और मुनाफाखोरी का प्रतीक बनकर रह गया।
सुरेंद्र वर्मा ने कहा कि इस तरह के आयोजन जनता के पैसे की लूट है और भाजपा ने इसे केवल अपने फायदे के लिए किया है। उन्होंने इस पूरे आयोजन की निष्पक्ष जांच की मांग की और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही।
भाजपा के भ्रष्टाचार पर जनता का गुस्सा
'जल जगार महोत्सव' में हुए भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के आरोपों ने भाजपा की छवि को नुकसान पहुंचाया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस आयोजन से उन्हें कोई लाभ नहीं मिला, जबकि बाहर की कंपनियों और भाजपा समर्थित लोगों को फायदा पहुंचाया गया। कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर भाजपा पर लगातार हमले तेज कर दिए हैं और इसे आगामी चुनावों में एक बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी कर रही है।
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