जौनपुर भूमि अधिग्रहण घोटाला: डीएम की सख्त कार्रवाई, 2 कानूनगो और 1 निरीक्षक निलंबित



जौनपुर भूमि अधिग्रहण मुआवजे घोटाले में डीएम ने 2 कानूनगो और 1 निरीक्षक को निलंबित किया, फर्जी भुगतान का खुलासा जारी।

इंद्रेश तिवारी की रिपोर्ट

जौनपुर। बहुचर्चित भूमि अधिग्रहण मुआवजे में हुए घोटाले की परतें लगातार खुल रही हैं। गुरुवार को जिलाधिकारी (डीएम) के निर्देश पर सदर तहसील के दो कानूनगो और एक निरीक्षक को निलंबित कर दिया गया। इस घोटाले का मामला अगस्त में प्रकाश में आया था, जब सक्षम प्राधिकारी भूमि अध्याप्ति (काला) कार्यालय में 14 ग्राम पंचायतों के 46 काश्तकारों को फर्जी तरीके से मुआवजे का भुगतान किया गया।

इससे पहले इसी मामले में मुख्य राजस्व अधिकारी (सीआरओ) को निलंबित कर उन्हें राजस्व परिषद से संबद्ध किया गया था। डीएम ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के आदेश दिए थे, जिसके बाद घोटाले से जुड़े और कई सबूत सामने आए। अब तक करीब साढ़े चार करोड़ रुपये की हेराफेरी का मामला सामने आया है, जिसमें अधिकारियों ने मिलीभगत से फर्जी अभिलेख तैयार कर मुआवजे का फर्जी भुगतान किया।

कैसे हुआ घोटाले का खुलासा?

जिले में भूमि अधिग्रहण का यह घोटाला तब सामने आया जब एक प्रमुख समाचार पत्र ने इस पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की। इस रिपोर्ट के अनुसार, एक भूमि अधिग्रहण मामले में 3.38 करोड़ की जगह मात्र 34 लाख रुपये का भुगतान हुआ था। इसे गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी स्वयं सक्षम प्राधिकारी भूमि अध्याप्ति कार्यालय पहुंचे और जांच शुरू की। जांच के पहले ही दिन डीएम को चार फर्जी अभिलेख मिले, जिनके आधार पर ढाई करोड़ रुपये का फर्जी भुगतान किया गया था।

जांच में सामने आए अहम तथ्य

जांच के दौरान पता चला कि पूर्व कानूनगो द्वारा तीन महीने पहले की गई प्रक्रिया में भारी अनियमितताएं थीं। इस घोटाले में 14 ग्राम पंचायतों के 46 काश्तकारों के नाम पर फर्जी भुगतान किया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए डीएम ने तत्काल प्रभाव से कानूनगो उदय राज, कानूनगो संतोष कुमार तिवारी और निरीक्षक प्रशिक्षणरत बृजेश सिंह को निलंबित कर दिया।

सीआरओ भी हुए निलंबित

इससे पहले, घोटाले में संलिप्त मुख्य राजस्व अधिकारी (सीआरओ) को भी निलंबित कर दिया गया था। इस मामले में उनके खिलाफ शासन को पत्र भेजा गया था और उन्हें राजस्व परिषद से संबद्ध कर दिया गया था। अब तक इस मामले में पांच आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा चुका है।

जांच टीम ने की सघन जांच

डीएम के निर्देश पर एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया गया था, जिसकी अध्यक्षता मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) साईं तेजा सीलम ने की। इस समिति ने घोटाले की परत दर परत जांच की और पाया कि फर्जी अभिलेखों के जरिए लाखों रुपये का मुआवजा जारी किया गया था। अब तक करीब साढ़े चार करोड़ रुपये का फर्जी भुगतान होने की पुष्टि हो चुकी है।

क्या है आगे की कार्रवाई?

जिलाधिकारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस घोटाले में संलिप्त किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा। दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी और मामले की निष्पक्ष जांच जारी रहेगी। डीएम ने कहा कि भविष्य में ऐसी किसी भी गड़बड़ी को रोकने के लिए कठोर कदम उठाए जाएंगे और भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाया जाएगा।

जौनपुर में भूमि अधिग्रहण मुआवजे में हुए इस बड़े घोटाले ने प्रशासनिक प्रणाली की खामियों को उजागर कर दिया है। जिलाधिकारी की तत्परता और जांच की दिशा से उम्मीद है कि दोषियों को जल्द ही सजा मिलेगी और जनता का विश्वास बहाल होगा।

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