कानपुर: 61 करोड़ की लागत से बना ओवरब्रिज 61 दिन में टूटा, भ्रष्टाचार पर उठे सवाल!




कानपुर में 61 करोड़ में बना ओवरब्रिज 61 दिन में ही टूटा, पुल के ज्वाइंट खुलने से आवागमन रोका गया, भ्रष्टाचार के आरोप।

कानपुर में 61 करोड़ की लागत से बना ओवरब्रिज 61 दिन भी नहीं टिक पाया, भ्रष्टाचार के बादल

कानपुर के पनकी धाम इलाके में जनता की लंबे समय से चली आ रही मांग पर बना ओवरब्रिज मात्र 61 दिनों के भीतर ही जर्जर स्थिति में आ गया है। यह पुल, जिसे 61 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया था, अब स्थानीय प्रशासन और निर्माण एजेंसी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का केंद्र बन गया है। पुल के ज्वाइंट खुलने की खबर से शहर में हड़कंप मच गया है, और प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से पुल पर आवागमन बंद कर दिया है।

पुल के उद्घाटन से लेकर अब तक की कहानी

पनकी धाम का यह ओवरब्रिज शहर के महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं में से एक था। तीन साल पहले इस पुल का निर्माण कार्य शुरू हुआ था, जिसे 2024 में जनता के लिए खोला गया। उद्घाटन के समय, स्थानीय लोग और जनप्रतिनिधि इसे क्षेत्र की बड़ी उपलब्धि मान रहे थे। हालांकि, अब मात्र दो महीने के भीतर ही पुल के दोनों छोरों के ज्वाइंट खुलने के कारण प्रशासन को पुल बंद करना पड़ा है।

निर्माण में भ्रष्टाचार का आरोप

स्थानीय विधायक सुरेंद्र मैथानी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्यसेतु निगम के अधिकारियों और पुल बनाने वाली कंपनी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि पुल का निर्माण घटिया सामग्री से किया गया था, जिसके कारण 61 दिन में ही यह स्थिति आ गई। उन्होंने इस मुद्दे को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंचाया है और मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। विधायक का मानना है कि यदि तकनीकी रूप से पुल सुरक्षित नहीं पाया जाता है, तो इसे ध्वस्त कर नए सिरे से निर्माण किया जाएगा।

जनता का रोष और असंतोष

पुल के बंद होने से सबसे ज्यादा परेशानी पनकी धाम और आस-पास के इलाकों के लोगों को हो रही है। पुल बनने से पहले भी लोगों को रेलवे ट्रैक पार करने में कठिनाई होती थी, और अब जब पुल बन गया था, तो लोगों ने राहत की सांस ली थी। लेकिन अब फिर से वही पुरानी समस्याएं लौट आई हैं, जिससे जनता में भारी नाराजगी है।

पुल निर्माण में लापरवाही या सुनियोजित भ्रष्टाचार?

यह सवाल उठ रहा है कि जब पुल का निर्माण किया जा रहा था, तो राज्यसेतु निगम के अधिकारी मौके पर जाकर गुणवत्ता जांच क्यों नहीं कर रहे थे? क्या यह सिर्फ एक लापरवाही है या फिर इसमें भ्रष्टाचार की सुनियोजित साजिश है? पुल बनने के बाद भी प्रशासन ने कोई तकनीकी निरीक्षण क्यों नहीं किया?

क्या होगा अगला कदम?

विधायक सुरेंद्र मैथानी ने कहा है कि पुल की मरम्मत के बाद आईआईटी कानपुर से इसकी तकनीकी जांच कराई जाएगी। यदि यह जांच में फेल होता है, तो इसे गिराकर दोबारा निर्माण कराया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि मामले की निष्पक्ष न्यायिक जांच करवाई जाएगी ताकि दोषियों को सजा मिल सके।

क्या भ्रष्टाचार पर लगेगी लगाम?

विधायक ने जोर देकर कहा कि योगी आदित्यनाथ की सरकार में किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राज्यसेतु निगम और पुल बनाने वाली कंपनी को इस मामले में कड़ी सजा मिलेगी। विधायक ने स्थानीय जनता से भी अपील की है कि वे धैर्य रखें और सरकार पर भरोसा रखें कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

जनता की प्रतिक्रिया

इस पूरे मामले पर जनता का गुस्सा सातवें आसमान पर है। लोगों का कहना है कि करोड़ों रुपये की लागत से बने इस पुल का 61 दिन में ही टूट जाना यह साबित करता है कि भ्रष्टाचार किस हद तक जड़ें जमा चुका है। लोगों का यह भी कहना है कि चाहे सरकार किसी की भी हो, लेकिन भ्रष्टाचार की समस्या बनी रहती है।

कानपुर में पनकी धाम का ओवरब्रिज, जो 61 करोड़ रुपये की लागत से बना था, अब मात्र 61 दिन में ही सवालों के घेरे में आ गया है। पुल के ज्वाइंट खुलने से न सिर्फ प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठे हैं, बल्कि निर्माण कार्य में शामिल अधिकारियों और कंपनियों की नीयत पर भी शक गहरा गया है। अब यह देखना होगा कि सरकार और प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और क्या इस पुल को दोबारा बनाकर जनता को राहत दी जाएगी, या फिर यह मामला भी भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच धूमिल हो जाएगा।

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