राज्य सूचना आयोग ने तहसीलदार मडियाहू पर सूचना न देने के कारण 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया, सख्त निर्देशों के साथ कार्रवाई।
इंद्रेश तिवारी की रिपोर्ट
मड़ियाहू, जौनपुर: राज्य सूचना आयोग, लखनऊ ने सूचना के अधिकार का उल्लंघन करने के आरोप में तहसील मडियाहू के तहसीलदार पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई सूचना न देने पर की गई, जिसमें आयोग ने स्पष्ट किया कि यह जुर्माना अधिरोपित करने का निर्णय आयोग के निर्देशों का पालन न करने के कारण लिया गया है।
सूचना मांगने वाले ने उठाई आवाज
इस मामले में अपीलकर्ता रमेश चन्द्र यादव, जो पेशे से अधिवक्ता हैं, ने तहसीलदार मडियाहू से सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 के अंतर्गत आवश्यक सूचनाएँ मांगी थीं। रमेश चन्द्र यादव ने राज्य सूचना आयोग के समक्ष अपील दाखिल की, जिसमें उनके द्वारा गोमती नगर, लखनऊ स्थित उत्तर प्रदेश सूचना आयोग और तहसीलदार के कार्यालय से जानकारी प्राप्त करने की कोशिश की गई थी।
आयोग का आदेश – 25,000 रुपये का अर्थदंड
राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने मामले की सुनवाई करते हुए सूचना अधिकार अधिनियम की धारा 20 (1) के तहत जनसूचना अधिकारी तहसीलदार पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया। आदेश में कहा गया कि अधिनियम के उल्लंघन की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए, और आयोग ने पूर्व में भी इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए थे, जो 12 फरवरी 2024 और 6 जून 2023 के आदेश में स्पष्ट रूप से दर्शाए गए हैं।
निर्णय की प्रति और कार्रवाई का आदेश
राज्य सूचना आयोग के द्वारा जारी किए गए आदेश की प्रति मडियाहू तहसील को 23 अगस्त 2023 को भेजी गई थी, जिसमें आयोग के आदेशों का पालन करने का निर्देश दिया गया था। लेकिन, अब तक तहसील प्रशासन से इस पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है, जिससे आयोग ने इस दिशा में एक कठोर निर्णय लिया है। आयोग ने अपने निर्णय में आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि जुर्माना राशि तहसीलदार के वेतन से काटकर वसूल की जाए।
अनुपालन में देरी – प्रशासन पर शिकंजा
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि जुर्माना राशि का संकलन संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी है, और यदि इस दिशा में आदेशों का पालन नहीं किया गया, तो आगामी कार्रवाई भी हो सकती है। आयोग ने राज्य सूचना अधिनियम के नियम 12 के तहत संबंधित अधिकारियों को दोबारा चेतावनी दी है कि वे समय पर सूचना उपलब्ध कराएँ अन्यथा आर्थिक दंड के साथ-साथ अन्य दंडात्मक कार्रवाई का भी सामना करना पड़ सकता है।
जुर्माना वसूली के निर्देश – भविष्य के लिए नजीर
आयोग का यह निर्णय सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्रशासनिक अधिकारियों के लिए चेतावनी है कि वे जनता को आवश्यक सूचना समय पर उपलब्ध कराएं और सूचना अधिकार अधिनियम का सम्मान करें।
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