तकनीकी शिक्षा समय की मांग: रघुबीर महाविद्यालय में एक दिवसीय सेमिनार में उभरा डिजिटल युग का नया चेहरा




रघुबीर महाविद्यालय में एक दिवसीय सेमिनार में तकनीकी शिक्षा की बढ़ती मांग पर जोर। डिजिटल युग में जनसंचार और तकनीकी शिक्षा समय की जरूरत।

इंद्रेश तिवारी की रिपोर्ट

जौनपुर के मछली शहर में रघुबीर महाविद्यालय, थलोई में एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया, जिसमें शिक्षा जगत के विशेषज्ञों ने आधुनिक शिक्षा और तकनीकी शिक्षा के महत्व पर चर्चा की। मुख्य वक्ता डा. सुशील कुमार मिश्र ने जोर देकर कहा कि डिजिटल युग में तकनीकी शिक्षा अब समय की सबसे बड़ी मांग है। जनसंचार और डिजिटल माध्यमों ने शिक्षा के तौर-तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं।

तकनीकी शिक्षा: समय की सबसे बड़ी जरूरत

वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि आज की युवा पीढ़ी को तकनीकी शिक्षा से सशक्त बनाना अत्यावश्यक है। डा. सुशील कुमार मिश्र, जो कि बिहारी महिला पीजी कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं, ने अपने मुख्य भाषण में कहा कि "इस डिजिटल युग में जनसंचार ही शिक्षा का प्रमुख स्रोत बन गया है। विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और वेबिनार के माध्यम से शिक्षा का स्तर बढ़ता जा रहा है।"

शिक्षा की प्राचीन परंपरा से आधुनिकता की ओर कदम

डा. मिश्र ने बताया कि अब शिक्षा पारंपरिक रूप से बाहर निकलकर डिजिटल माध्यमों की ओर बढ़ रही है। आज के समय में ऑनलाइन कक्षाओं और वर्चुअल कार्यक्रमों के जरिए छात्र-छात्राएं आधुनिक शिक्षा की नई राह पर चल रहे हैं।

विशेषज्ञों की राय

सेमिनार में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित डा. संजीव त्रिपाठी, डा. विजय बहादुर यादव और डा. रवितोष सिंह ने भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि तकनीकी शिक्षा की मदद से युवा वर्ग न केवल आधुनिक ज्ञान प्राप्त कर सकता है, बल्कि इससे वे नए करियर के अवसर भी तलाश सकते हैं।


आयोजन का सफल समापन

कार्यक्रम के आयोजक डा. शारदा सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और कार्यक्रम का सफल संचालन किया। प्राचार्य डा. अवधेश श्रीवास्तव ने अतिथियों और सभी उपस्थित लोगों का धन्यवाद किया। सेमिनार में डा. रंजना त्रिपाठी, डा. संजू शुक्ला, नागेंद्र यादव, अभिषेक मिश्रा, अनिल गौतम, नितेश सिंह समेत बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।





आधुनिक शिक्षा और तकनीकी विकास की दिशा में एक कदम

इस एक दिवसीय सेमिनार ने यह साबित कर दिया कि तकनीकी शिक्षा अब केवल विकल्प नहीं, बल्कि भविष्य की आवश्यकता बन गई है। डिजिटल माध्यमों के तेजी से बढ़ते प्रभाव ने छात्रों को एक नई दिशा प्रदान की है, जिससे वे बेहतर तरीके से अपने भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।

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